उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में स्थित बिहारीगढ़ क्षेत्र के शेरपुर खंज़दपुर गांव के एक सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य को इसका शिकार बनाया गया। डिजिटल ठगी के मामलों में लगातार इजाफा हो रहा है।
ठग ने खुद को पुलिस इंस्पेक्टर बताकर उनके बेटे को ड्रग्स के मामले में फंसा हुआ बताया और 50 हजार रुपये ठग लिए।
व्हाट्सएप कॉल से रची गई साजिश
बिहारीगढ़ के निवासी और राजकीय इंटर कॉलेज से रिटायर्ड प्रधानाचार्य गोपाल सिंह कांबोज को ठग ने व्हाट्सएप पर कॉल किया। खुद को पुलिस इंस्पेक्टर बताते हुए उसने कहा कि उनका बेटा अभिषेक चार अन्य लड़कों के साथ ड्रग्स के मामले में गिरफ्तार हो गया है। गोपाल सिंह ने इस पर आशंका जताई, क्योंकि उनका बेटा देहरादून में वीडियो एडिटर के रूप में काम करता है। लेकिन ठग ने उनकी बात को अनसुना करते हुए धमकियां दीं।
बेटे की आवाज सुनाकर बनाया दबाव
ठग ने बातचीत के दौरान गोपाल सिंह को उनके बेटे की रोने की आवाज सुनाई और कहा कि अगर उसे छुड़ाना है तो तुरंत 50 हजार रुपये भेजें। पहले तो गोपाल सिंह ने असमर्थता जताई, लेकिन ठग के दबाव में आकर उन्होंने पैसे ट्रांसफर कर दिए।
सच्चाई जानकर उड़ गए होश
रकम ट्रांसफर करने के बाद गोपाल सिंह ने अपने बेटे अभिषेक को फोन किया। अभिषेक ने बताया कि वह देहरादून में सुरक्षित है और ड्रग्स से जुड़ा कोई मामला नहीं है। यह सुनकर गोपाल सिंह को ठगी का अहसास हुआ। उन्होंने तुरंत स्थानीय पुलिस और साइबर सेल में शिकायत दर्ज कराई।
सहारनपुर पुलिस ने की जांच शुरू
सहारनपुर के एसएसपी रोहित सजवाण ने बताया कि यह मामला पुलिस के संज्ञान में आया है। साइबर थाने में रिपोर्ट दर्ज कर आरोपियों की पहचान के लिए जांच शुरू कर दी गई है। पुलिस का कहना है कि जल्दी ही मामले का खुलासा होगा।
ठगी का तरीका यह मामला उन डिजिटल ठगी की घटनाओं की कड़ी में एक और उदाहरण है, जहां ठग डराने और भावनाओं का फायदा उठाकर लोगों से पैसे ऐंठते हैं। इस घटना ने एक बार फिर सतर्कता और जागरूकता की जरूरत को उजागर किया है।
सावधान रहें: बड़े-बूढ़ों को साइबर अपराधों से कैसे बचाना बेहद जरूरी!
Note: Taazakhabar.live ने अपने सभी पाठकों को सतर्क किया है कि यदि आपके घर में बड़े-बूढ़े सदस्य हैं, तो उन्हें साइबर अपराधों से बचाने के लिए जाने कैसे सतर्क रहें।
गृह मंत्रालय ने हेल्पलाइन नंबर 1930
हाल ही में साइबर धोखाधड़ी के मामलों में बढ़ोतरी हुई है, जिससे बुजुर्ग खास तौर पर प्रभावित हो रहे हैं।
सरकार ने भी इस संबंध में विज्ञापन जारी कर बताया है कि ऐसी परिस्थितियों में क्या कदम उठाए जाने चाहिए। यह कदम न केवल आपके परिवार को सुरक्षित रखने में मदद करेंगे, बल्कि साइबर अपराधियों से बचाव भी सुनिश्चित करेंगे।
आइए, सतर्क रहें और अपने प्रियजनों की सुरक्षा को प्राथमिकता दें।
भारत में डिजिटल क्रांति के साथ बढ़ते साइबर अपराधों पर सरकार ने चेतावनी दी है। डिजिटल अरेस्ट के नाम पर धोखाधड़ी के मामले सामने आए हैं, जहां अपराधी लोगों को डरा-धमका कर पैसे ऐंठने की कोशिश करते हैं। गृह मंत्रालय ने हेल्पलाइन नंबर 1930 जारी किया है और लोगों को सावधान रहने की सलाह दी है।
डिजिटल क्रांति के बावजूद साइबर अपराधों में वृद्धि, विशेषकर ‘डिजिटल अरेस्ट’ के मामलों में ज्यादा
भारत सरकार ने ‘डिजिटल अरेस्ट’ के खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए विज्ञापन जारी किया है
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बताया कि वीडियो कॉल के माध्यम से गिरफ्तारी नहीं की जा सकती
सरकार ने लोगों को चेताया कि किसी भी सरकारी अधिकारी द्वारा फोन पर पैसे मांगना धोखाधड़ी है।
देश में डिजिटल क्रांति ने जहां लोगों का काम सुविधाजनक बनाया है तो वहीं दूसरी ओर इससे खतरे भी बढ़े हैं।
इस खास सुविधा के बाद साइबर अपराधियों के हौसले भी काफी बुलंद हुए हैं। ये साइबर अपराधी आपको किसी न किसी बहाने से अपनी जाल में फंसाने की कोशिश करते हैं।
कुछ इसमें बुरी तरह फंस जाते हैं तो वहीं कुछ इनकी चालाकी समझ जाते हैं। ऐसे में एक और टर्म है डिजिटल अरेस्ट। डिजिटल अरेस्ट एक तरह का साइबर धोखा है जिसमें अपराधी लोगों को डरा धमकाकर उनसे पैसे ऐंठने की कोशिश करते हैं। इससे जुड़ी हाल की घटनाओं ने लोगों को काफी परेशान किया है।
अब इसे लेकर भारत सरकार ने एक विज्ञापन जारी किया है। विज्ञापन की मदद से सरकार ने लोगों को जागरुक करने की कोशिश की है। सरकार ने विज्ञापन की मदद से यह बताया कि आपको डिजिटल अरेस्ट के केस में घबराने की जरूरत नहीं है। केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से जारी विज्ञापन में मदद के लिए हेल्पलाइन नंबर भी दिया गया है।
डिजिटल अरेस्ट को लेकर सरकार का अलर्ट
डिजिट अरेस्ट को लेकर भारतक सरकार ने आज अखबारों में एक विज्ञापन दिया है। इस एड की मदद से लोगों को डिजिटल अरेस्ट के खिलाफ जागरुक किया गया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अपने विज्ञापन में कहा कि घबरने की नहीं बल्कि सावधान रहने की जरूरत है।
आगे लिखा कि सीबीआई, ईडी,पुलिस, जज आपको वीडियो कॉल की मदद से अरेस्ट नहीं कर सकते। ऐसे मामलों के लिए आप www.cybercrime.gov.in पर अपनी रिपोर्ट दर्ज करा सकते हैं। सरकार ने संकट के समय पर 1930 नंबर पर डायल कर मदद मांगने को भी कहा है। गृह मंत्रालय ने साथ ही एक उदाहरण के जरिए समझाने की कोशिश भी की है जिससे आप ऐसे मामलों से खुद को बचा सकें।
क्या है डिजिटल अरेस्ट?
अब आपको विस्तार से बताते हैं कि आखिर डिजिटल अरेस्ट होता क्या है। डिजिटल अरेस्ट एक तरह का साइबर फ्रॉड कहलाता है, जिसमें अपराधी लोगों को डरा धमकाकर उनसे पैसे ऐंठने की कोशिश करते हैं।
वे लोगों को यह बताते हैं कि वे किसी कानूनी पचड़े में फंस गए हैं और उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है। यह धोखा अक्सर फोन कॉल, ईमेल या सोशल मीडिया मैसेज के माध्यम से किया जाता है।
डिजिटल अरेस्ट कैसे होता है?
झूठा आरोप: आपको किसी अपराध में शामिल होने का झूठा आरोप लगाया जाता है।
धमकी: आपको गिरफ्तारी, जेल या अन्य गंभीर परिणामों की धमकी दी जाती है।
पैसे मांगना: आपसे आपकी गलती सुधारने के लिए पैसे मांगे जाते हैं।
दबाव बनाना: आपको जल्दी से पैसे देने के लिए दबाव बनाया जाता है।