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Wed. Jan 22nd, 2025

भारत में किसानों की समस्याओं को गंभीरता से समझने और उनके समाधान की दिशा में कदम उठाने की जरूरत लंबे समय से महसूस की जा रही है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने हाल ही में इस बात पर जोर दिया कि हमें यह पता लगाना चाहिए कि आखिर किसान बार-बार प्रदर्शन के लिए क्यों मजबूर होते हैं। कृषि क्षेत्र में विकास दर का घटता आंकड़ा भी यह दर्शाता है कि किसानों की स्थिति में सुधार लाने के लिए नई रणनीतियों की आवश्यकता है।

किसानों की जमीन और चुनौतियां

भारत में अधिकांश किसानों के पास औसतन 0.8 से 0.9 हेक्टेयर भूमि है, जो कृषि के लिए अपर्याप्त है। भूमि का यह बंटवारा परिवारों के विभाजन के साथ और भी बढ़ता जा रहा है। इससे खेती करना न केवल कठिन होता है बल्कि छोटे किसानों को संसाधनों की कमी का भी सामना करना पड़ता है। दूसरी ओर, चीन में भी किसानों के पास भूमि का औसत आकार 0.5 हेक्टेयर ही है, लेकिन वहां उत्पादकता बेहतर है। इसके पीछे वहां के किसानों के लिए उपलब्ध संसाधन और तकनीक अहम भूमिका निभाते हैं।

भारत में किसान आज भी गरीबी, सीमित संसाधनों और बाजार में उचित मूल्य न मिलने जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। इन्हीं कारणों से नई पीढ़ी खेती छोड़कर शहरों की ओर रुख कर रही है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए एक ठोस कार्ययोजना की जरूरत है, जिसमें LIMIT (लोन, इनपुट, मार्केट, इंश्योरेंस, और टेक्नोलॉजी) फॉर्मूला कारगर हो सकता है।

LIMIT फॉर्मूला: समाधान की दिशा में पांच कदम

1. लोन (Loan)

किसानों को कर्जमाफी और आसान ऋण की आवश्यकता है। अक्सर किसानों के पास अगली फसल के लिए निवेश करने के लिए पर्याप्त धन नहीं होता। खरीफ और रबी के बीच का समय बेहद सीमित होता है, और ऐसे में कृषि ऋण का समय पर उपलब्ध होना जरूरी है। इसके अलावा, छोटे किसानों का ऋण माफ करना उनकी समस्याओं को कम कर सकता है।

2. कृषि इनपुट (Input)

छोटे और सीमांत किसानों को मुफ्त या सब्सिडी पर बीज और खाद जैसी जरूरी चीजें मुहैया कराई जानी चाहिए। देश में कृषि विज्ञान केंद्रों और भारी-भरकम बजट का सही उपयोग करके किसानों को यह समर्थन दिया जा सकता है।

3. नया बाजार (Market)

किसानों को उनकी फसलों का उचित मूल्य दिलाने के लिए एक स्थायी बाजार की आवश्यकता है। आज की स्थिति में किसान बिचौलियों के शोषण का शिकार होते हैं। एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) की गारंटी और फसलों की सही कीमत सुनिश्चित करने से इस समस्या को हल किया जा सकता है।

4. फसल बीमा (Insurance)

किसानों की फसलों का बीमा ऐसा हो जो उनके लिए लाभकारी हो। मौजूदा फसल बीमा योजनाएं जटिल और एजेंट-केंद्रित हैं। इन्हें सरल बनाकर किसानों तक आसानी से पहुंचाया जाना चाहिए, ताकि प्राकृतिक आपदा या फसल खराब होने की स्थिति में उनका नुकसान कम हो सके।

5. प्रौद्योगिकी (Technology)

आधुनिक तकनीक और कृषि उपकरण किसानों को किफायती दरों पर उपलब्ध कराए जाएं। कस्टम हायरिंग सेंटर का मॉडल, जैसा कि मध्य प्रदेश में लागू किया गया है, देशभर में अपनाया जा सकता है। इससे छोटे किसान भी ट्रैक्टर और अन्य उपकरणों का उपयोग कर सकेंगे।

समस्या की जड़ तक पहुंचना जरूरी

किसानों के मुद्दे केवल कृषि तक सीमित नहीं हैं। यह एक व्यापक सामाजिक-आर्थिक समस्या है, जिसे समझने और सुलझाने के लिए सरकार और समाज दोनों को मिलकर काम करना होगा। किसानों की आय बढ़ाने, उनकी समस्याओं को कम करने और कृषि क्षेत्र को सशक्त बनाने के लिए LIMIT फॉर्मूले को लागू करना एक प्रभावी कदम हो सकता है।

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