भारत में कई जगहें अपनी खूबसूरती और रहस्यमय कहानियों के लिए मशहूर हैं। ऐसा ही एक गांव है राजस्थान का कुलधरा, जिसकी खूबसूरती शब्दों में बयान करना मुश्किल है। इसके बावजूद, ये गांव दशकों से वीरान पड़ा है। आखिर ऐसा क्या हुआ कि यहां एक भी इंसान नहीं बचा?
1300 साल पुराना गांव
कुलधरा गांव की स्थापना करीब 1300 साल पहले पालीवाल ब्राह्मणों ने की थी। ये गांव राजस्थान के जैसलमेर से 14 किलोमीटर दूर स्थित है। सरस्वती नदी के किनारे बसे इस कुलधरा गांव में कभी संपन्नता और खुशहाली का दौर था। यहां के लोग खेती और व्यापार में निपुण थे, और गांव में हर ओर चहल-पहल रहती थी।
रातों-रात क्यों हो गया वीरान?
कुलधरा के वीरान होने के पीछे एक दर्दनाक कहानी है। कहा जाता है कि इस गांव पर जैसलमेर के दीवान सलीम सिंह की नजर थी, जो अत्याचारी स्वभाव का था। उसे गांव के मुखिया की बेटी पसंद आ गई थी और उसने उससे जबरन शादी करने की धमकी दी। अपनी बेटी और गांव की इज्जत बचाने के लिए मुखिया ने पूरे गांव के लोगों के साथ एक रात में कुलधरा छोड़ दिया।
कहते हैं कि जाते-जाते पालीवाल ब्राह्मणों ने गांव को श्राप दे दिया कि इसके बाद यहां कोई भी बस नहीं पाएगा। तभी से ये गांव वीरान है और आज तक यहां कोई स्थायी रूप से नहीं रह सका।
शाम 5 बजे के बाद छा जाता है सन्नाटा
रहस्यमयी लेकिन खूबसूरत
इस गांव में आज भी पुराने मकानों, मंदिरों और गलियों के अवशेष देखे जा सकते हैं। यहां की संरचनाएं देखकर ऐसा लगता है मानो अभी भी कोई इनमें रह रहा हो।
पर्यटकों के लिए खास
कुलधरा गांव को सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे तक पर्यटकों के लिए खोला जाता है। यहां आने के लिए 10 रुपये का टिकट लेना होता है, जबकि वाहन लाने पर 50 रुपये की फीस लगती है।
कुलधरा का ये इतिहास, उसकी वीरान गलियां और रहस्य आज भी लोगों को अपनी ओर खींचते हैं। ये गांव न केवल एक श्रापित स्थान की कहानी कहता है, बल्कि उस जमाने के समाज और संघर्ष की झलक भी दिखाता है।