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Thu. Jan 23rd, 2025

यूपी 2024 उपचुनाव का ग्रामीणों ने किया बहिष्कार, प्रशासन पहुंचा ग्रामीणों का गुस्सा शांत कराने

अलीगढ़: यूपी के अलीगढ़ जिले की खैर विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए मतदान सुबह 7 बजे से शुरू हुआ। इस उपचुनाव में कुल 5 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। सुबह 11 बजे तक मतदान प्रतिशत 19.18% दर्ज किया गया था, जबकि दोपहर 3 बजे तक यह बढ़कर 39.86% हो गया। शाम 5 बजे तक कुल 46.30% मतदान हुआ।मुख्य प्रत्याशियों में समाजवादी पार्टी की चारू कैन, बीजेपी के सुरेंद्र दिलेर, बसपा के पहल सिंह, आजाद समाज पार्टी के नितिन कुमार चोटल शामिल हैं। इनके अलावा एक निर्दलीय उम्मीदवार भी मैदान में हैं।हालांकि, ग्रामीण इलाकों में चुनाव का बहिष्कार देखने को मिला। मतदान से जुड़ी हर छोटी-बड़ी खबर के लिए ईटीवी भारत से जुड़े रहें।

अलीगढ़ चंदौस के जला कसेरू गांव में ग्रामीणों ने चुनाव से किया बहिष्कार । बताया जा रहा है कि प्राथमिक विद्यालय में स्थित मतदान केंद्र पर कीचड़ और पानी जमा होने के कारण ग्रामीणों में नाराजगी है। इसके अलावा, उन्होंने ग्राम प्रधान पर विकास कार्यों की उपेक्षा का आरोप लगाया है।मामले की जानकारी मिलते ही जिला प्रशासन की टीम मौके पर पहुंचकर ग्रामीणों को समझाने का प्रयास कर रही है। लेकिन स्थिति फिलहाल जस की तस बनी हुई है।

चमन नगरिया के निवासियों ने मतदान का बहिष्कार कर प्रशासन के सामने नई मुश्किल खड़ी कर दी। गांव के बूथ नंबर 308 पर ग्रामीणों ने हाईटेंशन लाइन के कारण होने वाले हादसों का हवाला देते हुए वोट देने से इंकार कर दिया। ग्रामीणों के मुताबिक, उनके गांव के ऊपर से गुजर रही हाईटेंशन लाइन की वजह से लगातार दुर्घटनाएं हो रही हैं, जिसमें कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं। हाल ही में एक बच्चा इस लाइन की चपेट में आने से घायल हुआ, जिससे गांव वालों में गहरा आक्रोश है।गुस्साए ग्रामीण घायल बच्चे को लेकर मतदान केंद्र पहुंचे और विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने बूथ के बाहर जाम लगाते हुए मतदान न करने की चेतावनी दी।

चमन नगरिया में लगभग 1200 से अधिक मतदाता हैं, लेकिन सभी ने एकजुट होकर इस बार मतदान न करने का निर्णय लिया। उनका कहना है कि जब तक हाईटेंशन लाइन को हटाया नहीं जाता या इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं किया जाता, वे चुनाव में भाग नहीं लेंगे।प्रशासन ने मौके पर पहुंचकर ग्रामीणों को समझाने का प्रयास किया। अंततः बातचीत के बाद ग्रामीण मान गए और सुबह 11:30 बजे के बाद मतदान के लिए बूथ पर पहुंचे।

मझवां विधानसभा क्षेत्र के पड़रा हनुमान गांव में औद्योगिक क्षेत्र घोषित किए जाने से नाराज ग्रामीणों ने मतदान का बहिष्कार कर दिया। ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने केंद्रीय राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल को पत्र सौंपा था, लेकिन इसके बावजूद क्षेत्र को औद्योगिक क्षेत्र बना दिया गया। ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री और पीएमओ कार्यालय को भी अपनी आपत्ति से अवगत कराया, लेकिन उनकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।मतदान के दिन जब एडीएम मौके पर पहुंचे, तो ग्रामीणों ने उन्हें ज्ञापन सौंपा। एडीएम के हस्तक्षेप के बाद ही मतदान प्रक्रिया शुरू हो सकी, जिससे लगभग तीन घंटे तक मतदान रुका रहा।

Note Taaza khabar.live अपने सभी ग्रामीण वासियों को अपनी समस्याओं के समाधान के लिए मतदान का बहिष्कार ना करके बल्कि NOTA का उपयोग करने के बारे में सोचे , तो इसे एक समझदारी से लिया गया निर्णय हो सकता है। यहां आपके लिए कुछ सुझाव दिए गए हैं जो आपकी मदद कर सकते हैं:

समुदाय की एकता हो: सभी ग्रामीण एक साथ मिलकर इस फैसले पर सहमत हों ताकि विरोध को मजबूती मिले।

2. NOTA का इस्तेमाल कब करें?

जब विकल्प सही न हो: यदि चुनाव में खड़े हुए सभी उम्मीदवार आपकी समस्याओं को हल करने में सक्षम या ईमानदार नहीं लगते।

प्रदर्शनकारी मत: NOTA का उपयोग एक सशक्त माध्यम है यह दिखाने के लिए कि आप जागरूक हैं, लेकिन वर्तमान विकल्पों से असंतुष्ट हैं।

लंबे समय में सुधार: बार-बार NOTA के बढ़ते आंकड़े राजनीतिक दलों को मजबूर कर सकते हैं कि वे बेहतर और जिम्मेदार उम्मीदवार मैदान में उतारें।

3. बहिष्कार और NOTA के बीच फैसला कैसे करें?

प्रभाव का आकलन करें: मतदान बहिष्कार से चुनाव प्रक्रिया पर असर हो सकता है, लेकिन यह जरूरी नहीं कि आपकी समस्याओं को हल करने में मददगार हो।

सकारात्मक संदेश दें: NOTA का उपयोग यह दिखाता है कि आप लोकतंत्र में विश्वास रखते हैं और सही प्रतिनिधि की तलाश में हैं।

पुनः विचार करें: बहिष्कार से पहले यह सोचें कि क्या यह आपकी समस्याओं को और बढ़ा सकता है, जैसे विकास कार्यों में देरी या प्रशासन का ध्यान हटना।

4. कुछ अहम बातें ध्यान में रखें

समूह की राय लें: किसी भी फैसले से पहले ग्राम सभा बुलाकर सामूहिक चर्चा करें।सरकार और मीडिया को सूचित करें:

अगर आप बहिष्कार का फैसला करते हैं, तो इसका कारण स्पष्ट रूप से मीडिया और संबंधित अधिकारियों तक पहुंचाएं।

शांतिपूर्ण तरीका अपनाएं: बहिष्कार या NOTA का उपयोग करते समय किसी भी प्रकार का हिंसात्मक या गैरकानूनी कदम न उठाएं।

अपने हक की जानकारी रखें: NOTA के उपयोग का अधिकार आपका लोकतांत्रिक हक है, इसका उपयोग समझदारी से करें।

इन दोनों कदमों का उद्देश्य आपकी समस्याओं को प्रशासन के सामने लाना और समाधान की दिशा में काम करना होना चाहिए।

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