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Thu. Jan 23rd, 2025

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले में स्थित मनौली गांव की 35 महिलाएं पेड़ों की लाख और रेशम से चूड़ियां, कंगन बना रहीं। महिलाओं को राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से ट्रेनिंग दी गई है। महिलाएं चूड़ियां और कंगन को खुले बाजार और मेले में बेचेंगी। समूह की महिलाओं ने बताया कि चूड़ियां और कंगन बनाने में इस्तेमाल होने वाला सामान दिल्ली से खरीदा है। प्रीति ने बताया कि पेड़ों की लाख और रेशम से चूड़ियां बनाने में खर्च कम आता है। ट्रेनिंग के बाद सभी महिलाएं इस कार्य को करने में सक्षम हो गई हैं। फिलहाल चूड़ियों और कंगन को तैयार कर स्टॉक किया जा रहा। इसके बाद बाजार में बेचा जाएगा।

बताते चलें कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की तरफ से महिलाओं के विभिन्न समूह बनाए गए हैं। शुरू में समूहों को राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की तरफ से धनराशि प्रदान की जाती है।

महिलाओं को विभिन्न कार्यों की ट्रेनिंग दी जाती है, ताकि वह आत्मनिर्भर बन सकें। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन अधिकारी प्रज्ञा श्रीवास्तव ने बताया कि मनौली गांव की महिलाओं को इस कार्य की ट्रेनिंग दी गई है और आगे भी महिलाओं को अन्य कार्यों की ट्रेनिंग दी जाएगी।

ग्रामिण महिलाएं अपनी मेहनत, समर्पण और अद्वितीय सोच के लिए हमेशा सराहनीय होती हैं। उनके द्वारा किया गया यह विशेष काम न केवल उनके आत्मविश्वास और प्रतिभा को दर्शाता है, बल्कि समाज में एक प्रेरणा का स्रोत भी है। उन्होंने अपनी सीमित संसाधनों के बावजूद जिस तरह से इस काम को अंजाम दिया, वह वास्तव में प्रशंसा के योग्य है। उनकी निष्ठा और परिश्रम हमारे समाज को आगे बढ़ाने का एक सुंदर उदाहरण प्रस्तुत करता है।

Note: Taazakhabar.live अपने सभी ग्रामीण पाठकों को राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM), जिसे “आजीविका मिशन” भी कहा जाता है, के मुख्य उद्देश्य और इसके लाभ कैसे प्राप्त किए जा सकते हैं, के बारे में पूरी जानकारी प्रदान करता है।

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM), जिसे “आजीविका मिशन” के नाम से भी जाना जाता है, भारत सरकार द्वारा ग्रामीण गरीबी को कम करने और आजीविका को बढ़ावा देने के उद्देश्य से चलाया जाने वाला एक प्रमुख कार्यक्रम है। इसे 2011 में शुरू किया गया था और यह ग्रामीण विकास मंत्रालय के अंतर्गत आता है।

मुख्य उद्देश्य: ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं और गरीब समुदायों को सशक्त बनाना।

आत्मनिर्भर समूहों (Self-Help Groups – SHGs) का निर्माण और समर्थन।

आजीविका के लिए कौशल विकास और वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करना।

ग्रामीण गरीबों की आय बढ़ाने के लिए उद्यमशीलता और स्वरोजगार के अवसर प्रदान करना।

लाभ कैसे लिया जा सकता है:

1. सेल्फ-हेल्प ग्रुप (SHG) से जुड़ना: इच्छुक लोग अपने क्षेत्र में कार्यरत SHG में शामिल हो सकते हैं या स्वयं का SHG बना सकते हैं। इस योजना के तहत SHGs को आर्थिक सहायता और प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है।

2. वित्तीय सहायता: SHGs को विभिन्न सरकारी योजनाओं और बैंकों से ऋण प्राप्त करने में मदद मिलती है। ये ऋण कम ब्याज दर पर उपलब्ध होते हैं।

3. प्रशिक्षण और कौशल विकास: इस योजना के तहत सरकार और अन्य सहयोगी संस्थाएं ग्रामीण गरीबों के लिए कौशल विकास कार्यक्रम चलाती हैं, जिससे वे अपने कौशल का विकास कर स्वरोजगार शुरू कर सकें।

4. मार्केट लिंकिंग: योजना के अंतर्गत उत्पादों की बाजार तक पहुंच बढ़ाने के लिए सहायता प्रदान की जाती है ताकि समूह अपने उत्पादों को बेचकर लाभ कमा सकें।

5. वित्तीय समावेशन: बैंकिंग सेवाओं, बचत खाते और अन्य वित्तीय सुविधाओं का लाभ उठाने में सहायता की जाती है।

योजना का लाभ उठाने के लिए:

नजदीकी पंचायत कार्यालय या ग्राम विकास अधिकारी से संपर्क करें।

राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के स्थानीय कार्यालय से संपर्क करके योजना के तहत उपलब्ध सुविधाओं और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के बारे में जानकारी लें।

SHG में शामिल होने के लिए अपनी पहचान और आय प्रमाण पत्र प्रस्तुत करें।

इस योजना का लक्ष्य है कि ग्रामीण गरीब समुदाय अपने पैरों पर खड़ा हो सके और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बने।

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