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घोड़हवा नुनिया टोला गांव में 53 साल बाद दरवाजे पर उतरेंगी बहू-बेटियां

बिहार के पश्चिम चंपारण जिले में स्थित पिपरासी। डुमरी मुडाडीह पंचायत में स्थित घोड़हवा नुनिया टोला गांव से खबर है कि 53 साल बाद बहू-बेटियां अब दरवाजे पर उतरेंगी। डेढ़ हजार की आबादी वाले इस गांव में पहली बार चारपहिया वाहन दरवाजे तक पहुंचेगा। महज सौ मीटर सड़क नहीं होने से यहां के लोग पगदंडी के सहारे आते-जाते थे। बीडीओ ओम राजपूत की पहल पर सड़क निर्माण शुरू होने से यहां के लोगों में खुशी का ठिकाना नहीं है। उनका वर्षों पुराना सपना पूरा होता दिख रहा है। इस गांव में अब चारपहिया वाहन घरों तक पहुंचेगा और सड़क नहीं होने से बच्चों के विवाह में होनेवाली अड़चनें भी दूर हो जाएंगी। ग्रामीणों का कहना है कि पूर्व में कई बार अच्छे घरों के रिश्ते सिर्फ इसलिए टूट गए क्योंकि घर तक पहुंचने के लिए सड़क नहीं थी। ग्रामीणों ने बताया कि 1971-72 में आई बाढ़ में घोड़हवा गांव गंडक नदी में समा गया था। यहां के लोग घोड़हवा नुनिया टोला में जाकर बस उस समय से आज तक सड़क नहीं होने से गांव की बहू-बेटियां व मरीज दरवाजे तक नहीं पहुंच पाते हैं। उन्हें सौ मीटर की दूरी पैदल तय करनी होती है। इसके बाद वे घरों तक पहुंचते हैं। बारिश के पर मौसम में स्थिति और विकराल हो जाती है।

प्रमुख पति मंजेश साहनी ने बताया कि गांव में चारपहिया वाहनों का आवागमन नहीं होने से लोगों को काफी दिक्कतें होती थीं। एंबुलेंस व दमकल गाड़ियां गांव में नहीं पहुंच पाती थीं। उन्होंने बताया कि बीते वर्ष गांव के हरि चौहान के घर आग लग गई। सूचना पर दमकल गाड़ी पहुंची, लेकिन सड़क नहीं होने से घर तक नहीं पहुंच पाई। किसी के बीमार पड़ने पर सौ मीटर किसी तरह उन्हें लाया जाता है। इसके बाद एंबुलेंस या वाहन से अस्पताल भेजा जाता है। मामूली राशि से यह सड़क तैयार हो रही है। पूर्व में इसको लेकर पहल नहीं हो सकी थी। चार लाख की लागत से सड़क का नर्मािण कराया जा रहा है। लोगों की समस्या को ध्यान में रखते हुए यह पहल की गई है। लंबे समय बाद पक्की सड़क के निर्माण होने से गांव के लोग खुश हैं। यही सरकार का उद्देश्य है। जेई को गुणवत्तापूर्ण सड़क निर्माण के निर्देश दिये गये हैं।

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