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Thu. Jan 23rd, 2025

बंजरिया गांव निवासी RSS संघ कार्यकर्ता की जमीन की पैमाइश ना होने पर एक IAS और तीन PCS अफसर सस्पेंड

उतर प्रदेश के लखीमपुर जिले के बंजरिया गांव की 2 बीघा जमीन की पैमाइश के लिए सरकार ने एक IAS और 3 PCS अधिकारी को सस्पेंड कर दिया। सरकार के एक्शन के बाद भी खेत का सीमांकन नहीं हो पाया है। राजस्व की टीम मौके पर गई, चक रोड खुलवा कर वापस चली गई।

जमीन के मालिक रिटायर्ड मास्टर विश्वेश्वर दयाल संघ से जुड़े हैं। वो RSS के ब्लॉक स्तर के कार्यकर्ता खंड संचालक हैं। इनसे जुड़े एक वीडियो पर ही इतना बड़ा एक्शन हुआ है, फिर भी वो संतुष्ट नहीं हैं। विश्वेश्वर के विपक्षी भी चाहते हैं कि नक्शा के मुताबिक खेत की नाप हो जाए। विश्वेश्वर दयाल का कहना है कि 6 साल से भटक रहा हूं। प्रशासन और पुलिस की लापरवाही के चलते खेत पर कब्जा नहीं मिल पा रहा है।

रिटायर्ड मास्टर विश्वेश्वर संघ से जुड़े हैं। अपने खेत की पैमाइश कराने के लिए वार्तालाप करते हुए ।

सबसे पहले जानते हैं पूरा मामला क्या है... नकहा ब्लाक के रहने वाले रिटायर्ड मास्टर विश्वेश्वर ने 6 साल पहले भूमि की पैमाइश कराने के लिए SDM के यहां वाद दायर किया था। उनकी भूमि की मेड़बंदी तो करा दी गई थी, लेकिन कुछ दिन बाद ही विपक्षियों ने इसे तुड़वा दिया। विश्वेश्वर ने इसकी शिकायत भाजपा विधायक योगेश वर्मा से की।

इसके बाद 24 अक्टूबर को भाजपा विधायक स्कूटी से SDM अश्वनी सिंह से मिलने पहुंचे थे। इस दौरान पता चला कि अफसरों और लेखपाल ने RSS लीडर से 5 हजार सुविधा शुल्क भी लिया, लेकिन जमीन पैमाइश नहीं की। इसका वीडियो भी सामने आया था।

वीडियो सामने आने के बाद नियुक्ति विभाग ने पूरे मामले की जांच के निर्देश दिए। लखीमपुर खीरी डीएम से केस की पूरी रिपोर्ट मांगी। पूछा गया- 6 साल पहले यानी 2019 के बाद कौन-कौन एसडीएम, तहसीलदार और नायब तहसील वहां तैनात रहा। उन्होंने पैमाइश के मामले में क्या कार्रवाई की।

डीएम से मिली रिपोर्ट के आधार पर एक आईएएस समेत तीन पीसीएस अफसरों को सस्पेंड कर दिया गया। नियुक्ति विभाग ने डीएम दुर्गा शक्ति नागपाल और पूर्व जिलाधिकारी महेंद्र बहादुर सिंह को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा है। नियुक्ति विभाग ने इन दोनों अधिकारियों से पूछा है कि छह साल से लटके पैमाइश के मामले को इन्होंने समीक्षा के दौरान क्यों नहीं देखा?

संघ कार्यकर्ता विश्वेश्वर से बात की। पढ़िए उन्हीं की जुबानी, संघर्ष की पूरी कहानी…

बड़े अफसरों से ज्यादा नीचे के अधिकारी दोषी मेरा खेत गाटा संख्या 432 है, जिसका कुल रकबा लगभग 11 बीघा है। अनुमानित कीमत 50 लाख से अधिक होगी। इसमें से 2 बीघा विपक्षी लोगों ने जोत रखा है, जिसकी नपाई के लिए वाद दायर किया था। अभी तक नपाई नहीं हो सकी है। अफसरों ने बताया विपक्षी पार्टी ने कमिश्नरी से इस पर स्टे ले लिया है।

सीमांकन को लेकर विवाद था, जिसकी नपाई के लिए मैंने दिसंबर-2019 में उपजिलाधिकारी के पास वाद दायर किया था। मेरा केस करीब चार महीने बाद अतिरिक्त उपजिलाधिकारी कोर्ट में स्थानांतरित हो गया। जिसमें पेशी तारीख करते-करते पांच साल बीत गया। आखिरकार पांच साल बाद 2023 में अतिरिक्त उपजिलाधिकारी कोर्ट से हमारे पक्ष में आदेश हुआ। जिसकी मेड़बंदी राजस्व टीम ने आकर मौके पर करवा दी।

3 अक्टूबर सदर एसडीएम अश्वनी सिंह से मिले। तहसील दिवस में उनको शिकायती पत्र हाथ में दिया। वो बोले कि पुलिस के पास जाओ, FIR दर्ज करवाओ।

विपक्ष के लोगों ने 2023 में हमारे खिलाफ फिर अतिरिक्त उप जिलाधिकारी कोर्ट में वाद दायर कर दिया। मैंने फिर मुकदमा लड़ना शुरू किया और 2023 के अंत तक पुनः मेरे पक्ष में निर्णय हुआ। इसके बावजूद भी मेरी मुश्किलें कम नहीं हुई। पहले राजस्व टीम द्वारा की गयी मेड़बंदी विपक्षी जनों ने तोड़ दी। पिलर उखाड़ कर गन्ने की फसल जोत दी। इसकी शिकायत लेकर मार्च 2024 जब वह पुलिस चौकी रामापुर गए तो चौकी इचार्ज दिनेश पांडे ने यह कहकर टरका दिया कि ये मामला राजस्व का है, वहीं जाइए। अप्रैल 2024 को जिलाधिकारी महेन्द्र बहादुर को भी समस्या को लेकर प्रार्थना पत्र दिया। जिसमें उन्होंने एसडीम लखीमपुर और सीईओ को कार्रवाई के लिए निर्देशित किया,लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

मई 2024 में हम सदर कोतवाली में जाकर बैठ गए। मुकदमा जब तक नहीं लिखा जाएगा तब तक नहीं जाऊंगा। इसके बाद विपक्षियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज हुआ। लेकिन न तो पुलिस ने कोई कार्रवाई की, न ही राजस्व टीम ने। इसके बाद हम 3 अक्टूबर को सदर एसडीएम अश्वनी सिंह से मिले। तहसील दिवस में उनको शिकायत पत्र हाथ में दिया। वो बोले कि पुलिस के पास जाओ, FIR दर्ज करवाओ। मैंने उन्हें बताया कि FIR दर्ज हो चुकी है, न्यायालय आदेश के अनुसार पैमाइश करवा दी जाए। एसडीएम ने आश्वासन दिया कि राजस्व टीम भेजेंगे और नपाई करवाएंगे लेकिन नपाई नहीं हुई।

प्रशासन के सामने रोते-गाते कानूनी तरीके से संघर्ष किया। छह साल में हमारे खेत की नपाई जब नहीं हो सकी तो थक- हारकर हम अपने भाजपा के सदर विधायक योगेश वर्मा के पास पहुंचे और उन्हें पूरी स्थिति से अवगत कराया।विधायक योगेश वर्मा ने सदर एसडीएम अश्वनी सिंह को

विधायक योगेश वर्मा ने सदर एसडीएम अश्वनी सिंह को फोन पर बताया की गुरुजी आ रहे हैं, उनकी नपाई करवाओ। हम एक बार फिर सदर SDM अश्वनी सिंह से मिले तो उन्होंने कहा कि दोनों पार्टी को बुलाकर बात होगी।

24 अक्टूबर 2024 को विधायक योगेश वर्मा हमें स्कूटी पर बैठाकर एसडीम ऑफिस ले गए।

योगी सरकार की कार्रवाई के बाद सिर्फ रास्ता खुला जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो हम 24 अक्टूबर 2024 को फिर विधायक योगेश वर्मा से मिले और नाराजगी जताई। तब विधायक योगेश वर्मा हमें स्कूटी पर बैठाकर तुरंत एसडीएम ऑफिस ले गए और एसडीएम से उनकी नोकझोंक हुई और कानूनगो द्वारा पांच हजार की घूस जो हमसे ली गई थी उसे वापस करने की भी बात विधायक ने की। विधायक का यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद 13 नवंबर को योगी सरकार ने बड़ी कार्रवाई करते हुए एक IAS और 3 PCS अफसरों को सस्पेंड कर दिया। इसके बाद 14 नवंबर को राजस्व की टीम पहुंची और रास्ता खुलवाकर लौट गई। खेत की नपाई अभी भी बाकी है।

बड़े की जगह छोटे वाले अफसर ज्यादा जिम्मेदार हमें किसी पर कार्रवाई में कोई दिलचस्पी नहीं है। कार्रवाई क्या हुई है? किस पर हुई है? और क्यों हुई है, इसका हमें क्या मालूम। हमें इतना मालूम है जिस खेत की नपाई के लिए हम 6 साल से संघर्ष कर रहे हैं, वह जस का तस है। मेरा खेत नप जाए,मेरे लिए यही बहुत है। इसमें उच्च अधिकारियों से ज्यादा निचले स्तर के कर्मचारी, पुलिस,लेखपाल कानूनगो और उप जिलाधिकारी ज्यादा जिम्मेदार है, जिनकी जानकारी में सब कुछ है, लेकिन हमें भटका रहे हैं।

विपक्षी पार्टी ने कहा- नक्शे के हिसाब से जमीन की नाप कराई जाए

विश्वेश्वर की एक विपक्षी शीला देवी आशा बहू हैं और उनके पति राजकुमार शिक्षामित्र l दूसरे विपक्षी श्रवण उर्फ राजा राम गांव में खेती करते हैं और उनका बेटा शोभित बाहर प्राइवेट नौकरी l श्रवण कुमार के बेटे शोभित ने बताया कि पहली बार जब मेरे खेत में पिलर लगाए गए, तब पता चला कि नपाई का आदेश हुआ है l राजस्व कर्मियों द्वारा पूरी तरह से सेक्टर न नाप कर, ऐसे ही मेड़बंदी कर दी गई ।

फिर उसे आदेश के विरुद्ध हम लोग भी उप जिलाधिकारी न्यायालय गए, जहां से स्टे मिला। हम लोगों ने राजस्व कर्मियों की मौजूदगी में पिलर उखाड़ दिए l इसके बाद विश्वेश्वर दयाल ने हम लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवा दिया। फिर हम लोगों ने मार्च 2024 में कमिश्नरी में वाद दायर किया l जिसकी कॉपी हमने राजस्व टीम को रिसीव करा दी l इसके बावजूद भी विधायक का वीडियो वायरल होने के बाद बिना नपाई किए राजस्व टीम वाले मेरा खड़ा गन्ना काटकर रास्ता बना गए हैं l हमें कोई आपत्ति नहीं है, पूरा सेक्टर नाप कर नक्शे के हिसाब से जिसकी जमीन जहां है, वहां प्रशासन की मौजूदगी में कब्जा कराया जाए l

विधायक बोले- मुख्यमंत्री से शिकायत नहीं की थी

सदर विधायक योगेश वर्मा बताया कि जमीन विवाद को लेकर मैंने मुख्यमंत्री से शिकायत नहीं की थी। वायरल वीडियो का संज्ञान लेते हुए नियुक्ति विभाग ने कार्रवाई की। ये कार्रवाई सरकार का सीधा संदेश है कि किसान या किसी पीड़ित के काम में लापरवाही करने वालों को छोड़ा नहीं जाएगा l

निलंबित किए गए अफसरों ने क्या कहा…न्यायालय प्रक्रिया के अनुसार कार्रवाई की- उप जिलाधिकारी

उप जिलाधिकारी रेनू ने बताया कि मैंने अतिरिक्त उपजिलाधिकारी के रूप में 31 दिसंबर 2021 को जॉइन किया था l नवंबर में अपनी शादी के लिए एक महीने के अवकाश पर चली गई l 3 महीने तक चुनावी व्यस्तता रही l जब न्यायालय का काम संभाला तो यह फाइल उनके संज्ञान में आई थी l न्यायालय प्रक्रिया के अनुसार कार्रवाई की, जिसका विवरण पत्रावली में दर्ज है l उसके बाद 2022 में उनका तबादला हो गया।

सेम डे राजस्व टीम को निरीक्षण के लिए भेजा- सदर एसडीएम

तत्कालीन सदर एसडीएम अरुण कुमार ने बताया कि दिसंबर 2019 में विश्वेश्वर दयाल का पैमाइश को लेकर वाद आया था। सेम डे राजस्व टीम को निरीक्षण के लिए निर्देश दिया था। कार्रवाई चलती रही, इसी दौरान मार्च 2020 में लॉकडाउन लग गया।

सभी कोर्ट व फील्ड कार्य बंद हो गए। नवंबर 2020 में जब लॉकडाउन में कुछ ढील हुई तो इनका प्रारम्भिक सीमांकन करवाकर न्यायालय में कार्रवाई शुरू हुई l इसके बाद वाद उपजिलाधिकारी अतिरिक्त कोर्ट में स्थानांतरित हो गया l

तत्कालीन ADM ने कहा- मैंने वादी के पक्ष में निर्णय दिया था, फिर मेरा ट्रांसफर हो गया

तत्कालीन ADM विधेश कुमार ने बताया- अक्टूबर 2022 में फाइल मेरे सामने आई थी l कई तारीखों पर वादी गैरहाजिर रहा l पैरवी न करने पर अक्टूबर 2022 में वाद को खारिज कर दियाl फरवरी 2023 में फिर से उसने वाद दायर किया, जिसे स्वीकार करते हुए दूसरे पक्ष को समन जारी कियाl

इसके एक महीने बाद तक दूसरे पक्ष ने कोई आपत्ति नहीं दर्ज कराई l अक्टूबर 2023 में वादी के पक्ष में निर्णय दिया गयाl फैसले के एक हफ्ते बाद दूसरे पक्ष ने पुनर्विचार वाद दायर किया। इसके बाद वादी को कोर्ट से नोटिस देने के लिए निर्देश आया। इसके बाद अक्टूबर 2023 में ही मेरा ट्रांसफर हो गया। वहीं वर्तमान सदर ADM अश्विनी सिंह ने इस प्रकरण में कुछ भी बोलने से साफ इनकार किया।

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