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Wed. Jan 22nd, 2025

आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम जिले के एक आदिवासी गांव बोडियागारुवु गांव में बुनियादी सुविधाओं की कमी एक बार फिर चर्चा का विषय बन गई है। बोडियागारुवु गांव में सड़कों की अनुपस्थिति के कारण यहां के लोगों को रोजमर्रा के जीवन में गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। हाल ही में एक गर्भवती महिला को अस्पताल पहुंचाने का वीडियो वायरल हुआ, जिसने इस समस्या को उजागर किया।

गर्भवती महिला साहू श्रावणी को अचानक तेज दर्द उठा, जिसके चलते उसे तुरंत मेडिकल सहायता की जरूरत थी। गांव में सड़क न होने के कारण एंबुलेंस वहां तक नहीं पहुंच सकी। ऐसे में गांव के निवासियों ने मिलकर एक अस्थायी डोली का इंतजाम किया। उबड़-खाबड़ रास्तों और नदी पार करते हुए, महिला को इस डोली के सहारे अस्पताल तक पहुंचाया गया।

स्थानीय लोगों की रोजमर्रा की समस्या

गांववालों का कहना है कि सड़क की कमी के कारण उन्हें लंबे समय से ऐसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। सड़क न होने के चलते यहां के निवासियों को स्वास्थ्य सुविधाएं, स्कूल और अन्य बुनियादी सेवाओं तक पहुंचने के लिए संघर्ष करना पड़ता है।

पहले भी देखी जा चुकी हैं ऐसी घटनाएं

यह पहली बार नहीं है जब इस क्षेत्र में इस तरह की घटना सामने आई है। कुछ समय पहले ही, विशाखापट्टनम के एएसआर जिले के बुरुगा गांव में भी एक गर्भवती महिला को डोली के जरिए 9 किमी दूर अस्पताल तक ले जाया गया था। वहीं, गुजरात के उदेपुर जिले में एक गर्भवती महिला को इसी तरह अस्पताल ले जाया गया, लेकिन दुर्भाग्यवश रास्ते में ही उसकी मौत हो गई थी।

समस्या का समाधान कब?

गांव के निवासियों ने प्रशासन से बार-बार अपील की है कि उनके गांव में सड़क का निर्माण किया जाए, लेकिन अब तक उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया है। वायरल वीडियो ने इस समस्या को एक बार फिर लोगों के सामने ला खड़ा किया है। यह घटना न केवल स्वास्थ्य सेवाओं की दुर्दशा की कहानी बयां करती है, बल्कि प्रशासन की अनदेखी का भी उदाहरण है।

सवाल यह उठता है कि क्या ग्रामीण क्षेत्रों की इन समस्याओं को हल करने के लिए कोई ठोस कदम उठाए जाएंगे या फिर ऐसी घटनाएं यूं ही दोहराई जाती रहेंगी?

Note: Taazakhabar.live अपने सभी पाठकों को यह संदेश देता है कि देश के कई हिस्सों में अब भी बुनियादी सुविधाओं का घातक अभाव है। जैसे बोडियागारुवु जैसे आदिवासी गांवों में सड़क जैसी महत्वपूर्ण आवश्यकता की कमी के कारण लोग अपनी जान जोखिम में डालकर जीवन जीने को मजबूर हैं।

यह घटना न केवल प्रशासन की उदासीनता को उजागर करती है, बल्कि हमें इन वंचित समुदायों की समस्याओं के प्रति संवेदनशील होने की आवश्यकता भी बताती है।

उपाय:

1. गांवों में बुनियादी ढांचे का विकास: प्रशासन को प्राथमिकता के आधार पर ऐसे गांवों में पक्की सड़कों और स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित करनी चाहिए।

2. आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार: दूरदराज के इलाकों में एंबुलेंस पहुंचाने के वैकल्पिक उपाय, जैसे मोटरबोट या हेलिकॉप्टर एंबुलेंस का प्रबंध करना चाहिए।

3. स्थानीय समुदाय की भागीदारी: ग्रामीण समुदाय को सरकार और गैर-सरकारी संगठनों के साथ मिलकर सड़कों और अन्य ढांचागत सुविधाओं के लिए सामूहिक प्रयास करने चाहिए।

4. सामाजिक जागरूकता: लोगों को इन समस्याओं के प्रति जागरूक करने और इसे एक आंदोलन के रूप में उठाने की जरूरत है ताकि नीति निर्माता इस दिशा में कदम उठाने को बाध्य हों।

निष्कर्ष: इस घटना से हम सभी को सीख लेनी चाहिए कि ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों की समस्याएं केवल उनकी नहीं, बल्कि पूरे समाज की जिम्मेदारी हैं। यह समय है कि हम उनके विकास और सम्मानजनक जीवन के लिए मिलकर प्रयास करें।

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