उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के नरही थाना क्षेत्र के भरौली गांव के निवासी रुद्रल यादव ने बलिया एसपी विक्रांत वीर से मिलकर अपनी दर्द भरी दास्तान सुनाई। रुद्रल ने आरोप लगाया कि नरही थाने के पुलिसकर्मियों ने उन्हें बैरक में बंद कर पिटाई की और एक लाख रुपये की अवैध वसूली की। इस मामले में एसपी ने तुरंत कार्रवाई करते हुए दो पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई।
घटना 25 नवंबर की है, जब भरौली गांव में भैंस चरा रहे रुद्रल यादव को सादे कपड़ों में आए नरही थाने के दो सिपाही उठाकर ले गए। थाने में उन्हें फर्जी गोकशी के मामले में फंसाने की धमकी दी गई और जान बचाने के लिए एक लाख रुपये की मांग की गई। डर के मारे रुद्रल ने किसी और के खाते में पैसे भेजवाए, तब जाकर उनकी जान छूटी।
पुलिस विभाग पर लगे इस गंभीर आरोप के बाद एसपी ने मामले का संज्ञान लिया। जांच में कांस्टेबल कौशल पासवान और ऋषि राज दोषी पाए गए। एएसपी कृपाशंकर ने बताया कि दोनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई है। चार आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है, जबकि फरार कांस्टेबल कौशल पासवान की तलाश के लिए टीमें लगाई गई हैं।
गौरतलब है कि नरही थाना पहले भी विवादों में रहा है। कुछ समय पहले ही बिहार से आने वाले ट्रकों से अवैध वसूली के खेल का पर्दाफाश हुआ था, जिसमें थाने के इंस्पेक्टर समेत कई पुलिसकर्मी और दलाल गिरफ्तार हुए थे। अभी उस मामले की जांच चल ही रही थी कि यह नया मामला सामने आ गया, जिससे विभाग में हड़कंप मच गया है।
Note Taazakhabar.live : अपने सभी पाठकों को यह सूचित करता है कि इस खबर से हमें निम्नलिखित प्रकार से क्या महत्वपूर्ण सीख मिलती हैं:
1. अधिकारों के प्रति जागरूकता ज़रूरी है: रुद्रल यादव की हिम्मत ने यह दिखाया कि जब आपके साथ अन्याय हो, तो अपनी आवाज़ उठाना बेहद ज़रूरी है। सही समय पर उठाई गई आवाज़ अन्याय को रोक सकती है।
2. पुलिस विभाग में पारदर्शिता की आवश्यकता: पुलिस जैसे महत्वपूर्ण विभाग में भ्रष्टाचार और अवैध वसूली जैसे मामले जनता के भरोसे को कमजोर करते हैं। ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई और पारदर्शिता ज़रूरी है।
3. न्याय के लिए संघर्ष से घबराना नहीं चाहिए: रुद्रल ने एसपी से मिलकर अपनी बात रखी, जिससे उन्हें न्याय मिला। यह दर्शाता है कि डर के बजाय सही रास्ते पर डटे रहना आवश्यक है।
4. सिस्टम में सुधार की आवश्यकता: यह घटना बताती है कि प्रशासन में सुधार की गुंजाइश हमेशा बनी रहती है। अधिकारियों को इस ओर ध्यान देना चाहिए कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।
5. सामाजिक जागरूकता और सतर्कता जरूरी है: आम जनता को अपने अधिकारों और कानून के प्रावधानों की जानकारी होनी चाहिए, ताकि वे अन्याय के खिलाफ खड़े हो सकें।
6. सच्चाई का साथ देना हमेशा सही है: अगर आप सही हैं, तो सच्चाई के रास्ते पर डटे रहें। समाज और प्रशासन में ऐसे लोग मौजूद हैं जो न्याय दिलाने में मदद करेंगे।
यह घटना यह भी याद दिलाती है कि गलत के खिलाफ खड़े होने से बदलाव की शुरुआत होती है।