छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले के पास स्थित टेमरी गांव का इतिहास पढ़कर आप प्रभावित होगे जिस को “योगा गाँव” के नाम से भी जाना जाता है यह गांव अपने लाखों इतिहास समेटे छत्तीसगढ़ की अनगिनत कहानी है, योग दिवस पर हम जाने हसीन प्रदेश के एक ऐसे गाँव के बारे मे जहाँ 05 साल के बच्चे से लेकर 75 साल के वृद्धों को भी आप योग करते देख सकते हैँ।
रोजाना युबह 5 बजे योग करने गांव के सरकारी स्कूल में पहुंच जाती हूं। अगर कियी कारण से सुबह नहीं आ पार्ड, तब घर का काम पूरा कर शाम को योग करने पहुंचती हुं।’ यह कहना है, बच्चे को साथ लेकर योग करने पहुंची गृहिणी गीता भट्ट का।
वहीं 75 साल की गंगावती अपनी पोती और परिवार के बाकी सदस्यों के साथ रोजाना योग करने पहुंचती हैं। वे कहती हैं कि ये सब अच्छी सेहत के लिए है। इससे उनको फायदा हुआ है और अब कई सालों से योग कर रही हैं।ये कहानी है, छत्तीसगढ़ के रायपुर के पास स्थित टेमरी गांव के लोगों की। यहां हर दिन योग की पाठशाला लगती है और योग दिवस होता है। इसमें 5 साल के ईशान से लेकर उसकी दादी गंगावती तक योग करने आती हैं। यहां योग ने लोगों को जिंदगी बदल दी।टेमरी गांव के लोग कहते हैं कि हम को योग के लिए किसी ने प्रेरित नहीं किया, बल्कि अपनी इच्छा से इसे शुरू किया। इसने सेहत दुरुस्त करने के साथ ही युवाओं को भी बदल दिया। अब यहां के युवा योग सीखकर दूसरों को प्रशिक्षण दे रहे हैं।
जानिए टेमरी कैसे बन गया ‘योग वाला गांव’योग प्रशिक्षक भोजराज साहू बताते हैं कि पहले गांव के कुछ ही लोग योग किया करते थे। फिर 9 साल पहले 2015 में योग शिविर लगा। इसमें पूरा गांव शामिल हुआ। गांवमें रोजाना योग के लिए लोगों को जागरूक करने के लिए किसानों, मजदूरों, नौकरी पेशा और स्कूली छात्रों का ग्रुप बनाया गया। उस दिन के बाद से योग को लेकर गांव में माहौल बन गया।
योग का प्रशिक्षण देने वाले मास्टर ट्रेनर अशोक साहू बताते हैं कि, सूर्य नमस्कार से लेकर कई कठिन आसन भी गांव में रहने वाले लोग बड़ी आसान से कर लेते हैं। अब आदर्श गांव टेमरी की पहचान योग वाले गांव के रूप में होने लगी है। सभी गांव वालों को रोजाना प्रशिक्षण देने के साथ ही 60 युवाओं को उन्होंने प्रशिक्षित किया है