भारत में होली का त्योहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, और होलिका दहन इसकी प्रमुख परंपराओं में से एक है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले का एक गांव ऐसा भी है जहां बीते 5000 सालों से होलिका दहन नहीं किया जाता? इस गांव का नाम बरसी गांव है, और इसके पीछे की वजह बेहद दिलचस्प है, जो सीधे महाभारत काल से जुड़ी हुई है।
बरसी गांव: जहां होलिका जलाना वर्जित है
बरसी गांव में होलिका दहन का कोई आयोजन नहीं होता। गांव वाले इस परंपरा का पालन इतने वर्षों से करते आ रहे हैं कि यह अब उनकी आस्था का हिस्सा बन चुका है। हालांकि, इसका मतलब यह नहीं कि यहां होली नहीं मनाई जाती। बल्कि होलिका दहन के दिन गांव वाले आसपास के गांवों में जाकर होली जलाने की रस्म अदा करते हैं, और फिर अगले दिन गांव में धुलंडी का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है।
क्या है होलिका दहन न करने की वजह?
इस गांव में स्थित शिव मंदिर इसकी सबसे बड़ी वजह है। यह कोई साधारण मंदिर नहीं, बल्कि देश का एकमात्र पश्चिममुखी शिव मंदिर है, जिसे स्वयंभू शिवलिंग के कारण बेहद पवित्र माना जाता है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार, महाभारत काल में कौरवों ने इस मंदिर का निर्माण कराया था। जब महाभारत युद्ध के लिए पांडव कुरुक्षेत्र जा रहे थे, तब भीम ने अपनी गदा इस मंदिर के द्वार में फंसा दी, जिससे इसका मुख पूर्व से पश्चिम की ओर घूम गया। आमतौर पर शिव मंदिरों का मुख पूर्व दिशा में होता है, लेकिन यह मंदिर अपवाद है।
गांववालों का मानना है कि यदि यहां होलिका दहन किया गया, तो उसकी अग्नि से भगवान शिव के पांव झुलस सकते हैं। इसीलिए पिछले 5000 वर्षों से इस परंपरा को सख्ती से निभाया जा रहा है।
गांव का नामकरण खुद भगवान श्रीकृष्ण ने किया!
बरसी गांव का नाम भी किसी साधारण व्यक्ति ने नहीं, बल्कि स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने रखा था। कहा जाता है कि महाभारत युद्ध के दौरान जब श्रीकृष्ण यहां आए, तो उन्हें यह स्थान अत्यंत पवित्र और मनमोहक लगा। उन्होंने इसे बृजधाम के समान पावन बताया और इसे ‘बरसी’ नाम दे दिया।
बरसी गांव में शिवरात्रि पर लगता है विशाल मेला
बरसी गांव का पश्चिममुखी शिव मंदिर केवल होलिका दहन की परंपरा के कारण ही प्रसिद्ध नहीं, बल्कि इसकी महिमा दूर-दूर तक फैली हुई है। यहां हर साल महाशिवरात्रि पर एक भव्य मेले का आयोजन होता है, जिसमें उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान समेत कई राज्यों से श्रद्धालु आते हैं।
लोग यहां शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं और अपनी मनोकामनाएं पूरी होने की प्रार्थना करते हैं।
बरसी गांव: एक आस्था और परंपरा का प्रतीक
बरसी गांव सिर्फ एक स्थान नहीं, बल्कि आस्था, इतिहास और परंपरा का संगम है। जहां एक ओर यहां हजारों वर्षों से चली आ रही परंपराएं आज भी जीवित हैं, वहीं दूसरी ओर यहां के लोग इस विरासत को बड़े गर्व और श्रद्धा के साथ निभाते हैं।
अगर आप कभी होली के मौके पर सहारनपुर जाएं, तो बरसी गांव की इस अनूठी परंपरा को जरूर देखें और इस अद्भुत शिव मंदिर के दर्शन करें।
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