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Thu. Jan 23rd, 2025

शामली जिले के 53 गांवों मुजफ्फरनगर विकास प्राधिकरण की सीमा में होंगे शामिल

उत्तर प्रदेश के शामली जिले में स्थित मीरापुर विधानसभा उप चुनाव के बाद मुजफ्फरनगर विकास प्राधिकरण की शामली जिले की सीमा विस्तार की अधिसूचना उत्तर प्रदेश शासन लखनऊ से जारी होने की संभावना है। प्राधिकरण में जिले के 53 गांव शामिल होंगे।

मुजफ्फरनगर रोड पर कुड़ाना मोड़, भैंसवाल रोड पर शामली मंडी, करनाल रोड पर आरके पीजी कालेज, दिल्ली रोड पर देशभक्त इंटर कालेज, पानीपत रोड पर गुलजारी वाला मंदिर, मेरठ रोड पर शामली रेलपार बाईपास पर नगरपालिका की सीमा खत्म होकर मुजफ्फरनगर विकास प्राधिकरण की सीमा शुरु हो रही है।

प्राधिकरण की सीमा जिला मुख्यालय पर मेरठ- करनाल, दिल्ली-शामली सहारनपुर, पानीपत खटीमा हाईवे के बाईपास तक आबादी में पहुंच गई है। डेढ़ साल पहले प्राधिकरण की सीमा का विस्तार का प्रस्ताव उत्तर प्रदेश शासन लखनऊ को भेजा गया था।प्रस्ताव में कैराना, शामली और ऊन तहसील के 53 गांवों और सभी बाईपास को शामिल किया गया है।शासन की ओर से प्रस्ताव में शामिल किए गए 53 गांवों और तहसील, बाईपास के नामों का शुद्धिकरण का सत्यापन तीनों तहसील के एसडीएम से कराकर एक साल पहले रिपोर्ट शासन को जा चुकी है। तीन दिन पहले लखनऊ में विकास प्राधिकरण के प्रमुख सचिव की अध्यक्षता मेेंं सचिव और उपाध्यक्षों की मासिक बैठक हुई।

मुजफ्फरनगर विकास प्राधिकरण की उपाध्यक्ष कविता मीणा ने बताया कि मीरापुर विधानसभा उप चुनाव के बाद मुजफ्फरनगर विकास प्राधिकरण की शामली जिले की सीमा विस्तार की अधिसूचना उत्तर प्रदेश शासन लखनऊ से जारी होने की संभावना है।मीरापुर विधानसभा का उप चुनाव का मतदान 20 नवंबर को होगा। चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद चुनाव आचार संहिता खत्म होगी। इसके बाद नए कार्य शुरु होंगे।

“एकीकृत शहरी-ग्रामीण विकास योजना” (Integrated Urban-Rural Development Plan)

Note: Taazakhabar.live इस योजना से संबंधित खास मुद्दों को समझते हुए, अपने सभी ग्रामीण पाठकों को निम्नलिखित उपाय और सुझाव की जानकारी देता हैं:

1. सीमा विस्तार के कार्य में पारदर्शिता सुनिश्चित करें: समीक्षा प्रक्रिया: तीनों तहसीलों से एसडीएम द्वारा सत्यापन के बाद, यह आवश्यक है कि जनता को भी इन प्रस्तावित क्षेत्रों के बारे में जानकारी दी जाए।जनता की राय: सीमा विस्तार के प्रस्ताव में शामिल गांवों के लोगों की राय और आपत्तियों को सुनने के लिए जनसुनवाई का आयोजन किया जाना चाहिए।

2. आधारभूत ढांचे का विकास: प्रस्तावित क्षेत्रों में सड़कें, जल आपूर्ति, सीवरेज सिस्टम, और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं को सुनिश्चित करना प्राथमिकता होनी चाहिए।बाईपास और हाईवे पर ट्रैफिक व्यवस्था को सुचारू बनाने के लिए उपयुक्त तकनीकी समाधान लागू करें।

3. प्राधिकरण के कार्यक्षेत्र का स्पष्ट निर्धारण: प्राधिकरण की सीमा विस्तार के साथ ही उनके अधिकारों, कार्यक्षेत्र, और जवाबदेही को स्पष्ट रूप से परिभाषित करना चाहिए।यह सुनिश्चित किया जाए कि स्थानीय पंचायतों और विकास प्राधिकरण के बीच तालमेल बना रहे।

4. सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन: सीमा विस्तार से संबंधित क्षेत्रों में पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन करें।प्रस्तावित बाईपास और शहरीकरण के कारण किसानों और ग्रामीण आबादी पर पड़ने वाले प्रभाव को ध्यान में रखते हुए मुआवजे और पुनर्वास की प्रक्रिया को तेजी से लागू करें।

5. प्रभावी योजना और कार्यान्वयन: लखनऊ में हुई बैठक के परिणामों और सिफारिशों को सार्वजनिक करें ताकि सभी संबंधित पक्षों को जानकारी हो।सीमा विस्तार के लिए एक समयबद्ध कार्य योजना बनाई जाए और उसकी निगरानी की जाए।

6. भविष्य के विकास के लिए प्रबंधन: क्षेत्र में औद्योगिक, आवासीय, और व्यावसायिक विकास की योजनाओं को सुव्यवस्थित करें।यातायात और आबादी के दबाव को संभालने के लिए दीर्घकालिक शहरी नियोजन की प्रक्रिया शुरू करें।

इन उपायों से प्राधिकरण का विस्तार प्रभावी रूप से किया जा सकता है, और संबंधित गांवों और क्षेत्रों को विकास में शामिल कर उनकी समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।

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