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“शेखपुरा कदीम हत्या कांड: बाप-बेटा समेत तीन दोषियों को आजीवन कारावास, अदालत ने सुनाया सख्त फैसला”

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले से सटे देहात कोतवाली क्षेत्र के गांव शेखपुरा कदीम गांव में तीन साल पहले हुई हत्या के मामले में अदालत ने बाप-बेटा समेत तीनों अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।

हत्या का मामला

29 जुलाई 2021 को शेखपुरा कदीम के अनीस पुत्र इमरान ने अपने भाई साजिद (24) की हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। अनीस ने आरोप लगाया था कि रंजिश में इकबाल पुत्र भूरा कुरैशी, इकराम उर्फ गूगा पुत्र भूरा कुरैशी और इकबाल के बेटे वसीम ने साजिद पर लाठी-डंडों से हमला कर उसे मार डाला था।

कानूनी कार्रवाई

पुलिस ने तुरंत आरोपियों को गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया। मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने साक्ष्यों और गवाहों के बयान को ध्यान में रखते हुए अभियुक्तों को दोषी ठहराया। अपर सत्र न्यायाधीश ने कक्ष संख्या चार में तीनों पर 10-10 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया।

न्यायालय की सजा

शनिवार को सुनवाई में अपर सत्र न्यायाधीश ने इकबाल, वसीम और इकराम को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। साथ ही, तीनों पर आर्थिक जुर्माना भी लगाया गया। अदालत ने यह निर्णय वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, सहारनपुर के निर्देशन में चल रहे OPERATION CONVICTION के तहत की गई सशक्त कार्यवाही के बाद दिया।

अधिकारियों के बयान

श्री राकेश सहल (एडीजीसी) ने कहा, “यह निर्णय हमारे कड़ी प्रयासों और सशक्त पैरवी का परिणाम है, जिससे न्याय सुनिश्चित हुआ।” निरीक्षक श्री उमेश रोरिया और कौशल कुमार (पैरोकार) ने भी मामले की गंभीरता पर प्रकाश डाला और कानून के पालन की आवश्यकता पर जोर दिया।

इस निर्णय से क्या संदेश लिया जाना चाहिए, इसका निष्कर्ष पढ़े।

Note: Taazakhabar.live शेखपुरा कदीम गांव में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने और गांववासियों के हित में सुधार लाने के लिए निम्नलिखित उपाय सुझा रहा है:

1. आपसी रंजिशों का समाधान:

गांव में नियमित पंचायत बैठकों का आयोजन किया जाए, जहां विवादों को सुलझाने के लिए समुदाय के बुजुर्ग और सम्मानित लोग मध्यस्थता करें।

विवादों को शांतिपूर्ण तरीके से हल करने के लिए ‘ग्रामीण सुलह समिति’ बनाई जाए।

2. सुरक्षा और निगरानी:

गांव के प्रधान और मुखिया के नेतृत्व में एक ‘ग्राम सुरक्षा दल’ का गठन किया जाए, जिसमें गांव के जागरूक नागरिक शामिल हों। यह दल गांव में होने वाली गतिविधियों पर नजर रखेगा और किसी भी संदिग्ध मामले को समय रहते सुलझाने का प्रयास करेगा।

गांव में रात्रि गश्त के लिए स्वयंसेवकों की टीम बनाई जाए, जो गांव की सुरक्षा सुनिश्चित करे।

प्रधान और मुखिया द्वारा गांववासियों को जागरूक करने के लिए सामूहिक बैठकें आयोजित की जाएं, जहां सभी को मिलकर गांव की सुरक्षा और शांति बनाए रखने की जिम्मेदारी दी जाए।

ग्राम स्तर पर शिकायत पेटी या हेल्पडेस्क की व्यवस्था की जाए, जहां कोई भी व्यक्ति अपनी समस्या या सुझाव गुमनाम रूप से दे सके।

3. शिक्षा और जागरूकता:

युवाओं के लिए आक्रामकता कम करने और सहनशीलता बढ़ाने के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएं।

स्कूलों और पंचायत भवन में हिंसा-रोधी अभियान चलाए जाएं।

4. सामुदायिक विकास:

गांववासियों के लिए रोजगार प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाकर युवाओं को रोजगारपरक कौशल सिखाया जाए।

खेल और सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देकर युवाओं को सकारात्मक कार्यों में व्यस्त रखा जाए।

5. कानूनी जागरूकता:

गांववासियों को उनके अधिकार और कानून के प्रति जागरूक किया जाए, ताकि लोग हिंसा की जगह कानून का सहारा लें।

ग्राम स्तर पर लीगल हेल्प डेस्क स्थापित की जाए, जहां लोग अपनी समस्याएं पुलिस में जाने से पहले रख सकें।

7. पुलिस और प्रशासन का सहयोग:

पुलिस और प्रशासन के साथ नियमित संवाद स्थापित किया जाए, ताकि किसी भी असामाजिक गतिविधि की जानकारी तुरंत दी जा सके।

आपातकालीन हेल्पलाइन नंबरों की जानकारी हर घर तक पहुंचाई जाए।

इन उपायों से गांव शेखपुरा कदीम में शांति और सद्भावना कायम रखने में मदद मिलेगी और इस तरह की घटनाओं से बचा जा सकेगा।

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