उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में स्थित शेखपुरा कदीम गांव में 6 अक्टूबर को हुए बवाल के मुख्य आरोपी कारी नौशाद को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर महंत यति नरसिंहानंद के विवादित बयान के बाद इस बवाल की शुरुआत हुई थी। घटना के दौरान चौकी पर बवाल की स्थिति बन गई थी। पुलिस ने अब तक इस मामले में 14 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा था, लेकिन मुख्य आरोपी कारी नौशाद फरार था।
घटना का पूरा विवरण
6 अक्टूबर को भारतीय किसान यूनियन (बेदी) के राष्ट्रीय महासचिव और सुभासपा के प्रदेश उपाध्यक्ष कारी नौशाद ने महंत यति नरसिंहानंद के पैगंबर मोहम्मद पर दिए गए विवादित बयान के विरोध में ज्ञापन देने का कार्यक्रम घोषित किया था। स्थिति शांतिपूर्ण बनी हुई थी और गांव के लोग चौकी तक ज्ञापन देने के लिए जा रहे थे। इसी बीच, थाना प्रभारी चंद्रसैन ने चौकी पहुंचने से पहले ही गांव में ज्ञापन ले लिया था।
हालांकि, जब भीड़ अपने घरों को लौट रही थी, तभी कुछ अराजक तत्वों ने माहौल बिगाड़ दिया। देखते ही देखते भीड़ उग्र हो गई और बवाल शुरू हो गया। इस दौरान बाहर से आए कुछ उपद्रवी भीड़ में शामिल हो गए। करीब 40-50 युवकों ने पुलिस चौकी पर हंगामा कर दिया। मौके पर मौजूद पुलिसकर्मी स्थिति संभालने की कोशिश करते रहे, लेकिन भीड़ बेकाबू हो गई।
हालांकि, पुलिस ने बैकअप बुलाकर स्थिति पर काबू पा लिया और दंगाइयों को खदेड़ दिया।
14 आरोपी पहले ही भेजे जा चुके जेल
बवाल के बाद पुलिस ने गांव में दबिश देकर 14 आरोपियों को गिरफ्तार किया था। लेकिन इस का मुख्य आरोपी कारी नौशाद फरार हो गया था। पुलिस लगातार उसकी तलाश कर रही थी और आखिरकार उसे गांव के पास एक खेत से गिरफ्तार कर लिया गया।
एसपी सिटी का बयान
एसपी सिटी अभिमन्यु मांगलिक ने बताया, “कारी नौशाद शेखपुरा कदीम में हुए बवाल का मुख्य आरोपी है। उसने ही भीड़ को भड़काया था। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।”
मामले की संवेदनशीलता और कार्रवाई
इस घटना के बाद पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है। सहारनपुर जैसे संवेदनशील जिले में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए अधिकारियों ने सतर्कता बढ़ा दी है। पुलिस की जांच जारी है और अन्य संभावित आरोपियों की तलाश की जा रही है।
Note: शेखपुरा कदीम एक शांतिप्रिय और सौहार्दपूर्ण गांव के रूप में जाना जाता है। 6 अक्टूबर की घटना यहां की परंपरागत शांति को भंग करने की एक दुर्भाग्यपूर्ण कोशिश थी, जिसमें बाहरी अराजक तत्वों ने माहौल बिगाड़ा। यह गांव हमेशा से अमन, भाईचारे और समझदारी का प्रतीक रहा है। पहली बार हुई इस घटना से गांव की छवि को खराब करने की कोशिश की क्योंकि शेखपुरा के लोग आपसी मेलजोल और शांति में विश्वास रखते हैं।