शेखपुरा कदीम की पाक ज़मीन एक बार फिर से रहमत और बरकत से रोशन होने जा रही है। इस साल भी महान सूफी संत दादा आलम नवाज ख्वाजा शाह अलीमुद्दीन चिश्ती रहमतुल्ला अलैहि का 795वां उर्स मुबारक बड़े अदब, अकीदत और उत्साह के साथ 14 से 17 फरवरी तक मनाया जाएगा। यह उर्स सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि इंसानियत, मोहब्बत और अमन का पैगाम भी है, जो हर जाति और धर्म के लोगों को जोड़ता है।
ज़ायरीन का सैलाब उमड़ेगा, हर कोना रोशन होगा
हर साल की तरह इस बार भी देशभर के अलग-अलग शहरों और राज्यों से हज़ारों श्रद्धालु दरगाह शरीफ पर हाजिरी देने पहुंचेंगे। खासतौर पर अलीगढ़ और बड़ेडी राजपूतान से राव नावेद (एडवोकेट), राव आजम शकील प्रधान, राव शोएब, राव वसीम एडवोकेट सहित कई गणमान्य लोग इस आयोजन में शरीक होंगे।

सूफी परंपरा के महान वारिस, जो रहमत बांटते रहे
दादा शाह अलीमुद्दीन चिश्ती रहमतुल्ला अलैहि, महान सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती अजमेरी के भांजे और उत्तराधिकारी। उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी इंसानियत, शांति और प्रेम के लिए समर्पित कर दी। उनकी दरगाह आज भी उसी तालीम और सूफियाना माहौल की गवाही देती है। यह वह मुकाम है, जहां हर कोई अपनी मुराद लेकर आता है और दुआएं कबूल होती हैं।
उर्स की खास रस्में और कार्यक्रम
इस मौके पर कई धार्मिक और आध्यात्मिक कार्यक्रम होंगे, जिनमें शामिल हैं:
✔ मिलाद शरीफ ✔ क़व्वाली की महफिलें ✔ तस्बीह और दुआएं ✔ शबे बरात की खास रौनक ✔ इफ्तार की पाक रस्में
सभी कार्यक्रम मियां फरीद (अलीगढ़) की देखरेख में संपन्न होंगे। इन आयोजनों में इश्क-ए-इलाही और सूफियाना माहौल का जिक्र होगा, जिससे हर कोई रूहानी सुकून हासिल कर सकेगा।
हर मज़हब और तबके के लिए खुला है ये दरबार
दादा की दरगाह पर आने वाले जायरीनों में हर जाति और धर्म के लोग शामिल होते हैं। यह उर्स मोहब्बत, भाईचारे और इंसानियत का पैगाम देता है, जहां सभी को बराबरी और प्रेम की सीख मिलती है।
अपील: आइए, इस पवित्र उर्स में शरीक हों!
सैय्यद निजामुद्दीन नाज , राव ज़मुरद जी , राव जैनुद्दीन, राव खुर्रम प्रधान, राव अब्दुल रहमान उर्फ रहमानी, राव अनीश प्रधान, राव रब्बानी , राव ख़ुशतर, राव इमरान एडवोकेट सैय्यद आदिल हुसैन ( पत्रकार ) राव सरफराज , चौधरी फरहत अली , राव आमीश, राव रियाजुल , राव अनीश प्रधान, राव अफ़फेन प्रधान, राव फरमान लोकदल, चौधरी तनवीर गर्जर , राव अनीश, समेत तमाम ज़िम्मेदार लोग श्रद्धालुओं से अपील करते हैं कि वे इस रूहानी और पाक मौके पर शामिल होकर दादा आलम नवाज की रहमत से मालामाल हों।
आइए, इस पवित्र उर्स मुबारक में शरीक होकर अपनी रूह को सुकून दें और 795वें उर्स को यादगार बनाएं।“
795वें उर्स मुबारक की दिली मुबारकबाद!”

