श्रावस्ती: जिले के हरिहरपुर रानी गांव में डीएम अजय कुमार द्विवेदी ने अचानक दौरा कर प्रशासनिक कामकाज की हकीकत परखने के लिए ग्रामीणों से सीधे संवाद किया। सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन की असल तस्वीर देखने के लिए वे पटना खास गांव और हरिहरपुर रानी गांव पहुंचे, जहां उन्होंने आम जनता से पूछा कि क्या उन्हें सरकारी लाभ समय पर मिल रहा है या नहीं।
eKYC न होने पर बुजुर्गों की परेशानी देख भड़के डीएम
ग्रामीणों से बातचीत के दौरान कुछ बुजुर्गों ने बताया कि eKYC न होने के कारण उनकी वृद्धावस्था पेंशन रुकी हुई है। इस पर डीएम ने नाराजगी जताते हुए अफसरों को फटकार लगाई और निर्देश दिया कि तत्काल प्रभाव से सभी जरूरतमंदों की eKYC पूरी कराई जाए, ताकि उन्हें उनके हक का पैसा समय पर मिल सके।
स्कूल पहुंचे तो खुली व्यवस्थाओं की पोल
गांव में मौजूद विद्यालय का निरीक्षण करने पहुंचे डीएम ने देखा कि अधिकतर बच्चे बिना जूते और बिना स्कूली यूनिफॉर्म के थे। उन्होंने नाराजगी जताते हुए शिक्षकों से सवाल किया कि जब सरकार द्वारा DBT (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के जरिए अभिभावकों के खाते में यूनिफॉर्म और जूतों के लिए पैसा भेजा जा चुका है, तो फिर बच्चे अब तक स्कूल यूनिफॉर्म में क्यों नहीं आए?

डीएम ने शिक्षकों को निर्देश दिया कि जल्द ही अभिभावकों की बैठक बुलाई जाए और उन्हें बच्चों की यूनिफॉर्म और जूते खरीदने के लिए प्रेरित किया जाए।
पंचायत सचिव की जिम्मेदारी पर उठे सवाल
निरीक्षण के दौरान डीएम ने ग्रामीणों से पंचायत सचिव के कामकाज के बारे में पूछा, लेकिन चौंकाने वाली बात यह रही कि गांव के कई लोग पंचायत सचिव को पहचानते तक नहीं थे! इस पर डीएम ने सचिव को फटकार लगाते हुए कहा कि वे नियमित रूप से गांव में जाएं और जनता के बीच अपनी मौजूदगी दर्ज कराएं, ताकि लोगों को अपने पंचायत अधिकारी की पहचान हो।
ग्रामीणों के काम पूरे करने के लिए तय हुई डेडलाइन
डीएम ने निर्देश दिए कि सभी सरकारी कार्यों को तय समयसीमा में पूरा किया जाए। खासतौर पर गांव में घरौनी प्रमाण पत्र (स्वामित्व योजना के तहत संपत्ति का अधिकार पत्र) जल्द से जल्द हर जरूरतमंद को दिया जाए।
सरकारी सिस्टम को दुरुस्त करने की कोशिश
डीएम अजय कुमार द्विवेदी के इस औचक निरीक्षण से ग्रामीण व्यवस्था में सुधार की उम्मीद जगी है। प्रशासनिक लापरवाही पर सख्ती बरतते हुए उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि अब गांव में किसी को सरकारी योजनाओं से वंचित नहीं रहने दिया जाएगा। अफसरों को भी अल्टीमेटम दे दिया गया है कि वे समय पर अपनी जिम्मेदारियों को निभाएं, वरना सख्त कार्रवाई के लिए तैयार रहें।
निष्कर्ष:
डीएम के इस दौरे से एक बार फिर साफ हो गया कि सरकारी योजनाओं का लाभ आम जनता तक पहुंचाने के लिए अधिकारियों को जमीनी स्तर पर काम करना होगा, सिर्फ फाइलों में नहीं। यह दौरा प्रशासन के लिए एक चेतावनी भी था कि अब गांव की सच्चाई सिर्फ कागजों पर नहीं चलेगी, बल्कि ग्राउंड जीरो पर दिखनी चाहिए!

Note: Taazakhabar.LIVE | आपके गांव में सरकारी योजनाओं का लाभ मिल रहा है या नहीं? ऐसे करें जांच
अगर आपको यह जानना है कि आपके गांव में सरकारी योजनाओं का सही तरीके से क्रियान्वयन हो रहा है या नहीं, तो Taazakhabar.live आपके लिए कुछ खास सुझाव लेकर आया है। इन तरीकों से आप न केवल अपने अधिकारों की जानकारी ले सकते हैं, बल्कि जरूरतमंदों को भी उनका हक दिलाने में मदद कर सकते हैं।
अगर आप अपने गांव के विकास और सरकारी योजनाओं के सही क्रियान्वयन के लिए कुछ करना चाहते हैं, तो ये कदम उठा सकते हैं:
1. जागरूकता फैलाएं
- गांव के लोगों को सरकारी योजनाओं की जानकारी दें, जैसे वृद्धावस्था पेंशन, पीएम आवास योजना, राशन कार्ड, मनरेगा आदि।
- बताएं कि eKYC, आधार लिंकिंग, और बैंक खाते का अपडेट होना क्यों जरूरी है।
- स्कूलों में बच्चों को यूनिफॉर्म और जूते दिलाने के लिए अभिभावकों को समझाएं।
2. पंचायत और अफसरों से संपर्क करें
- ग्राम प्रधान और पंचायत सचिव से मिलकर गांव की समस्याओं पर चर्चा करें।
- ब्लॉक और तहसील स्तर के अधिकारियों (BDO, SDM) से संपर्क करें और बताएं कि गांव में किन योजनाओं का लाभ लोगों तक नहीं पहुंच रहा।
- अगर अफसरों से बात करने के बाद भी समाधान न मिले, तो DM (जिलाधिकारी) के पास शिकायत करें।
3. RTI और शिकायत दर्ज करें
- अगर सरकारी योजनाओं में गड़बड़ी हो रही है या अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे, तो RTI (सूचना का अधिकार) के तहत जानकारी मांगें।
- जनसुनवाई पोर्टल, सीएम हेल्पलाइन या डीएम ऑफिस में शिकायत दर्ज कराएं।
4. गांव में जनसभा और बैठक करें
- गांव के लोगों को एकजुट करें और जनसभा करें।
- पंचायत और अफसरों को बुलाकर गांव की प्राथमिक समस्याओं को हल करने का दबाव बनाएं।
- सोशल मीडिया (WhatsApp ग्रुप, Facebook, Twitter) का इस्तेमाल करें ताकि आपकी आवाज ऊपर तक पहुंचे।
5. खुद छोटे-छोटे बदलाव करें
- स्वच्छता अभियान चलाएं, बच्चों को पढ़ाई के लिए प्रेरित करें, और जरूरतमंदों की मदद करें।
- स्कूल, अस्पताल, और सरकारी दफ्तरों में जाकर देखें कि वहां सही से काम हो रहा है या नहीं।
- अगर कोई सरकारी काम अटका हो तो लोगों को सही तरीके से आवेदन करने में मदद करें।
6. मीडिया और जनप्रतिनिधियों तक अपनी बात पहुंचाएं
- स्थानीय अखबार, न्यूज़ चैनल या सोशल मीडिया के माध्यम से गांव की समस्याओं को हाईलाइट करें।
- गांव के विधायक, सांसद या प्रधान से मिलकर सीधे अपनी मांग रखें।
अगर गांव के लोग मिलकर एकजुट हो जाएं और सही तरीके से अधिकारियों तक अपनी बात पहुंचाएं, तो निश्चित रूप से बदलाव लाया जा सकता है!
1. ग्राम प्रधान और पंचायत सचिव से पूछें
- उनसे पूछें कि गांव में किन सरकारी योजनाओं पर काम चल रहा है और किन पर अभी तक कुछ नहीं हुआ।
- ग्राम सभा की मीटिंग में शामिल होकर जानें कि किन लोगों को सरकारी लाभ मिल रहा है और कौन वंचित रह गया है।
2. सरकारी पोर्टल और ऐप्स का इस्तेमाल करें
- PM Awas Yojana, राशन कार्ड, वृद्धावस्था पेंशन, मनरेगा आदि की लिस्ट ऑनलाइन देख सकते हैं।
- जनसुनवाई पोर्टल (jansunwai.up.nic.in) या RTI के जरिए सरकारी योजनाओं की स्थिति पता कर सकते हैं।
- UMANG ऐप, e-Shram, और PM Kisan पोर्टल पर जाकर अपने गांव की स्थिति चेक करें।
3. गांव के लोगों से सीधा फीडबैक लें
- गांव के बुजुर्गों, किसानों, मजदूरों और महिलाओं से पूछें कि उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ मिल रहा है या नहीं।
- अगर किसी का eKYC या दस्तावेज अधूरे हैं, तो पंचायत से मिलकर उसे पूरा कराने में मदद करें।
4. ब्लॉक और तहसील स्तर के अधिकारियों से संपर्क करें
- BDO (ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिसर), SDM (सब डिविजनल मजिस्ट्रेट) या DPRO (जिला पंचायत राज अधिकारी) से पूछें कि गांव के लिए क्या योजनाएं स्वीकृत हुई हैं।
- अगर योजनाएं कागजों में ही हैं और जमीनी हकीकत कुछ और है, तो डीएम (DM) को शिकायत करें।
5. RTI लगाकर जानकारी लें
- अगर पंचायत या ब्लॉक के अधिकारी सही जानकारी नहीं दे रहे, तो RTI (सूचना का अधिकार) के तहत सरकारी योजनाओं का पूरा विवरण मांग सकते हैं।
6. सोशल मीडिया और मीडिया का सहारा लें
- अगर आपके गांव में योजनाएं कागजों पर चल रही हैं, तो स्थानीय न्यूज़ चैनलों, अखबारों और सोशल मीडिया पर इसे उठाएं।
- DM और संबंधित अधिकारियों को Twitter और Facebook पर टैग करके शिकायत करें।
अगर आपको लगे कि गांव में कुछ गलत हो रहा है या लोग सरकारी योजनाओं से वंचित हैं, तो इन्हीं तरीकों से अफसरों को जवाबदेह बनाया जा सकता है।
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