मेहसाणा (गुजरात): भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स की अंतरिक्ष से सुरक्षित वापसी पर उनके पैतृक गांव झूलासन में भव्य जश्न मनाया गया।
झूलासन और उमिया माता मंदिर का गहरा संबंध
झूलासन गांव केवल अपनी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत के लिए ही नहीं, बल्कि उमिया माता मंदिर के लिए भी प्रसिद्ध है। यह मंदिर कड़वा पाटीदार समुदाय की कुलदेवी को समर्पित है, और ऐसा माना जाता है कि सुनीता विलियम्स की इस मंदिर में गहरी आस्था है। जब उन्होंने भारत की यात्रा की थी, तो वे इस मंदिर में दर्शन करने आई थीं यही वजह है कि उनकी अंतरिक्ष यात्रा के दौरान गांववालों ने डोला माता मंदिर और उमिया माता मंदिर में विशेष पूजा कर उनकी सलामती की प्रार्थना की थी।
गांव में दिवाली जैसा माहौल
जब एलन मस्क के स्पेसएक्स कैप्सूल ने फ्लोरिडा के पास सुनीता को सकुशल धरती पर उतारा, तो झूलासन में दिवाली जैसा माहौल था। लोगों ने पटाखे फोड़े, मिठाइयां बांटी, और रातभर नाच-गाना किया। गांव के विशाल पंचाल, जो झूलासन प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक हैं, ने बताया कि पूरे गांव ने इस ऐतिहासिक क्षण को टीवी पर लाइव देखा और जैसे ही सुनीता सकुशल लौटीं, हर घर में खुशी की लहर दौड़ गई।
आपको बता ते चले नासा की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और उनके साथी बुच विल्मोर को 9 दिनों के लिए अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) भेजा गया था, लेकिन वहां तकनीकी खराबी के कारण उनका स्पेसक्राफ्ट वापसी के लिए तैयार नहीं हो सका। बिना किसी ठोस समाधान के, उन्हें ISS पर रहना पड़ा और इस दौरान नासा के वैज्ञानिकों ने कई बार वापसी की योजनाएं बनाईं, लेकिन हर बार किसी न किसी वजह से मिशन टलता रहा।
9 महीने बाद, जब आखिरकार स्पेसएक्स का नया कैप्सूल तैयार हुआ, तो नासा ने उनकी वापसी का फैसला किया। बेहद संभावित खतरों और चुनौतियों के बावजूद, स्पेसएक्स का कैप्सूल सफलतापूर्वक पृथ्वी पर उतरा, और सुनीता विलियम्स सकुशल घर लौट आईं।

अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स (दाएं) 4 अप्रैल, 2013 को अहमदाबाद से लगभग 50 किलोमीटर दूर झूलासन गांव में डोला माताजी मंदिर में हिंदू रीति-रिवाजों के बाद अपने चाचा दिनेशभाई रावल को मिठाई देती हुई।
सुनीता की सफलता से गांव में शिक्षा और विज्ञान का प्रचार
सुनीता विलियम्स की उपलब्धियों ने झूलासन गांव में शिक्षा और विज्ञान के प्रति जागरूकता को बढ़ावा दिया है। उनकी सफलता ने यहां के युवाओं और बच्चों को अंतरिक्ष विज्ञान और इंजीनियरिंग में करियर बनाने की प्रेरणा दी है। अब गांव के कई छात्र नासा और इसरो जैसी संस्थाओं में काम करने का सपना देखने लगे हैं।

भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स गुरुवार को गुजरात के मेहसाणा जिले में अपने पैतृक गांव झूलासन की यात्रा के दौरान एक महिला को गले लगाती हुई। |
गांव में सुनीता के नाम पर विकास कार्य
झूलासन गांव ने सुनीता विलियम्स के सम्मान में कई विकास कार्य किए हैं:
✔ सुनीता विलियम्स सामुदायिक केंद्र बनाया गया, ताकि लोग उनकी सफलता से प्रेरणा ले सकें।
✔ गांव के स्कूलों में उनकी नाम-पट्टिकाएं लगाई गईं और बच्चों को विज्ञान व अंतरिक्ष के प्रति जागरूक किया गया।
✔ गांव के युवा उन्हें आदर्श मानते हैं और उनकी तरह बड़े सपने देखने लगे हैं।
गांववालों की श्रद्धा और माता का आशीर्वाद
गांव के निवासी नवीन पंड्या, जो सुनीता के पिता के चचेरे भाई हैं, ने बताया कि गांववालों ने अखंड ज्योत की देखभाल की और माता के मंदिर में विशेष यज्ञ भी किया। उन्होंने कहा,। अब हम गांव में एक विशाल जुलूस निकालकर माता को धन्यवाद देंगे।”
सुनीता का झूलासन से अटूट रिश्ता
सुनीता विलियम्स का परिवार मूल रूप से झूलासन से है। उनके पिता दीपक पंड्या का जन्म यहीं हुआ था और बाद में वे 1957 में अमेरिका चले गए। लेकिन सुनीता अपने भारतीय मूल को कभी नहीं भूलीं। वह 2007, 2008 और 2013 में भारत आ चुकी हैं और उन्हें पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया है।
गर्व का क्षण
झूलासन के लिए यह गर्व की बात है कि उनकी बेटी अंतरिक्ष में गई और दुनिया में भारत का नाम रोशन किया। ग्रामीणों ने कहा, “हमने हर दिन उनकी सुरक्षित वापसी की प्रार्थना की, और जब वह लौटीं, तो यह हमारे लिए किसी दिवाली से कम नहीं था।”
सुनीता विलियम्स की अंतरिक्ष यात्रा और झूलासन की आस्था ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि भारत की बेटियां किसी भी ऊंचाई को छू सकती हैं और अपनी मिट्टी से हमेशा जुड़ी रहती हैं।