उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले क्षेत्र के परौर गांव कोड 134530 , मजरा साहनी गांव रामगंगा के किनारे कटरी के पास बसा हुआ है।इस मजरे में पाल बिरादरी पिछड़ी जाति के लोग रहते हैं इस मजरा की आबादी करीब 20 घरों एवं 100 परिवारों की होगी। आजादी से लेकर आज तक जाने कितनी सरकार है आई और चली गई जनपद के जाने कितने नेताओं ने इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया लेकिन ग्राम साहनी कि दशा दिशा में कोई सुधार नहीं हुआ न तो गांव जाने के लिए मार्ग है न ही स्वच्छ जल पीने के लिए इंडियामार्का हैंडपंप लगे हैं न ही प्रकाश के लिए बिजली व्यवस्था है न ही कोई ग्रामवासियों को स्वास्थ्य सेवाएं नसीब होती हैं।
Note: Taazakhabar.live अपने सभी ग्रामीण पाठकों को सूचित करता है कि यदि आपके ग्रामीणवासियों को भी साहनी गांव जैसी समस्याओं का सपना करना पड़ रहा है तो समाधान के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:
1. सरकारी योजनाओं की जानकारी और आवेदन: गांव के निवासियों को केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं जैसे प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, स्वच्छ भारत मिशन, और जल जीवन मिशन के बारे में जानकारी प्राप्त करनी चाहिए और इन योजनाओं के तहत आवेदन करना चाहिए।
2. सामुदायिक प्रयास और याचिका: ग्रामवासी एक सामूहिक याचिका तैयार कर जिला प्रशासन, स्थानीय सांसद, और विधायक को भेज सकते हैं, जिसमें उनकी समस्याओं का विस्तृत विवरण हो और उनके समाधान की मांग की गई हो।
3. सरकारी अधिकारियों से संपर्क: गांव के प्रतिनिधियों को सीधे जिला प्रशासन, विकास अधिकारी, और संबंधित विभागों के अधिकारियों से संपर्क करना चाहिए और समस्याओं के समाधान के लिए अपील करनी चाहिए।
4. सामाजिक संगठनों और NGOs का सहयोग: गांव के लोगों को सामाजिक संगठनों और गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) की मदद लेनी चाहिए जो ग्रामीण क्षेत्रों में विकास कार्यों में सहायता करते हैं।
5. विकास समितियां बनाना: गांव के लोग एक विकास समिति का गठन कर सकते हैं, जो नियमित रूप से प्रशासनिक अधिकारियों से संवाद स्थापित करे और समस्याओं के समाधान के लिए काम करे।
6. मीडिया का सहयोग: समस्याओं को प्रमुखता से उठाने के लिए मीडिया का सहारा लिया जा सकता है। समाचार पत्रों और न्यूज़ चैनलों पर रिपोर्ट प्रकाशित/प्रसारित करवाई जा सकती है ताकि अधिकारियों का ध्यान गांव की समस्याओं की ओर आकर्षित हो।
7. जनप्रतिनिधियों से मिलना: गांव के लोग अपने क्षेत्र के विधायक, सांसद, और अन्य जनप्रतिनिधियों से व्यक्तिगत रूप से मिलकर अपनी समस्याओं को सामने रखें और उनसे समाधान की मांग करें।
8. जन सुनवाई और ग्राम सभा: ग्रामवासियों को जन सुनवाई के कार्यक्रमों और ग्राम सभा की बैठकों में सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए, जहां वे अपनी समस्याओं को खुले मंच पर उठा सकें।
9. स्वयं सहायता समूह (Self-Help Groups): ग्रामवासी स्वयं सहायता समूह बनाकर छोटे-छोटे प्रयासों से स्वास्थ्य सेवाओं, शिक्षा, और साफ-सफाई की स्थिति को बेहतर बना सकते हैं।
10. स्वयंसेवी कार्यों की पहल: गांव के युवा मिलकर स्वयंसेवी कार्यों के माध्यम से सफाई अभियान चला सकते हैं और छोटी-मोटी सुविधाओं का प्रबंध कर सकते हैं।
इन उपायों से अपने गांव की स्थिति में सुधार लाने के लिए एक ठोस शुरुआत की जा सकती है।