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Thu. Jan 23rd, 2025

गढ़ी गांव में गर्भ में लड़का या लड़की, घर में भ्रूण लिंग जांच…15 से 20 हजार फीस, स्वास्थ्य विभाग में खलबली

उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के फरह क्षेत्र के गढ़ी गांव में एक किराए के घर में भ्रूण लिंग जांच का खेल चल रहा था। इस मामले महिला सहित पांच लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज हुई है।

गांव गढ़ी देरी में किराए के घर में अल्ट्रासाउंड मशीन रखकर भ्रूण लिंग परीक्षण की जांच का खुलासा हुआ है। मौके से पकड़ी गई एक महिला और दलाल को जमानत मिल गई है। तीन आरोपी पुलिस को चकमा देकर पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड मशीन को लेकर फरार हो गए। इस मामले से स्वास्थ्य विभाग में खलबली मची है।

भ्रूण लिंग परीक्षण के लिए 15 हजार से 20 हजार रुपये नोएडा और गुरुग्राम से महिलाओं को मथुरा लाकर दलाल 15 हजार से 20 हजार रुपये में भ्रूण लिंग परीक्षण की जांच कराता था। इसकी भनक लगते ही सिविल सर्जन गुरुग्राम ने दो डॉक्टर की जांच टीम गठित की। टीम में शामिल पीसीपीएनडीटी के नोडल अधिकारी डाॅ. सुमित धनक एवं चिकित्सा अधिकारी डाॅ. रवि ढलाल ने मामले का खुलासा करने के लिए जाल बिछाया। मथुरा के पीसीपीएनडीटी के नोडल डाॅ. चित्रेश कुमार स्वास्थ्य कर्मी भारत भूषण शर्मा एवं कुलदीप सिंह के साथ मौके पर पहुंचे।

मशीन लेकर हुए फरार स्वास्थ्य विभाग और पुलिस को देख नीरज और संदीप मशीन को लेकर मौके से फरार हो गए। टीम ने मौके से रविंद्र और महिला लक्ष्मी को पकड़ लिया। मौके पर टीम के साथ एसडीएम कंचन गुप्ता भी मौजूद रहीं। इस मामले में पीसीपीएनडीटी के नोडल डाॅ. चित्रेश कुमार फरह थाने में ग्रेटर नोएडा निवासी रविंद्र कुमार, नीरज चौधरी, संदीप एवं जिस मकान में जांच हो रही थी उस मकान का मालिक वीरेंद्र एवं भ्रूण परीक्षण कराने आई अड़ीग निवासी लक्ष्मी के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराई है।

दलाल को भी मिली जमानत फरह थाना प्रभारी कमलेश कुमार ने बताया कि लक्ष्मी को थाने से जमानत दे दी, जबकि दलाल रविंद्र को न्यायालय से जमानत मिल गई है। बाकी तीन आरोपियों की तलाश की जा रही है। थाना प्रभारी निरीक्षक कमलेश कुमार ने बताया कि क्षेत्र में झोलाझापों के खिलाफ कार्रवाई के लिए सीएमओ को रिपोर्ट भेजी है।

गुरुग्राम से लेकर मथुरा तक बिछा है भ्रूण लिंग जांच करने वालों का जाल भ्रूण लिंग जांच कराने वालों का जाल गुरुग्राम से लेकर ग्रेटर नोएडा, आगरा और मथुरा तक फैला है। हरियाणा, ग्रेटर नोएडा से महिलाओं को लाकर मथुरा में भ्रूण लिंग की जांच का खेल पिछले 2 साल से अधिक समय से चल रहा था, लेकिन मथुरा का स्वास्थ्य विभाग गहरी नींद में सोया रहा।

100 से अधिक की करा चुका है जांच मथुरा में पड़ोसी राज्य एवं आसपास के शहरों से आकर भ्रूण लिंग जांच कराने का खेल लंबे समय से चल रहा है। ग्रेटर नोएडा निवासी दलाल रविंद्र ने बताया कि वह पिछले एक साल से अधिक समय से 100 से अधिक महिलाओं की भ्रूण लिंग जांच करा चुका है। नोएडा का दलाल आगरा नंबर की कार से महिलाओं को भ्रूण परीक्षण के लिए लाता था। गढ़ी बेरी गांव में किराए के मकान में लिंग परीक्षण के लिए मथुरा, आगरा, नोएडा और गुरुग्राम से महिलाएं जांच के लिए लाई जाती थीं। आशंका है कि आगरा में भी दलाल सक्रिय हैं। इससे पूर्व आगरा की स्वास्थ्य टीम ने कोसीकलां में कार्रवाई की थी। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अजय कुमार वर्मा ने बताया कि भ्रूण लिंग जांच मामले में नोडल अधिकारी डॉ. चित्रेश ने एफआईआर दर्ज कराई है।

Note Taazakhabar.live ” अपने सभी पाठकों को गर्भ में बच्चे के लिंग की पहचान से जुड़े कानूनों के बारे में निम्नलिखित जानकारी प्रदान करता है:

लिंग परीक्षण की शिकायत WhatsApp No. 9799997795, 104/108 पर करें।PCPNDT अधिनियम 1994 के तहत जन्म से पूर्व शिशु का लिंग परीक्षण करना अपराध है।

भारत में गर्भ में बच्चे के लिंग का पता करने से संबंधित कानून “गर्भधारण पूर्व और प्रसवपूर्व निदान तकनीक (लिंग चयन निषेध) अधिनियम, 1994” (Pre-Conception and Pre-Natal Diagnostic Techniques Act, 1994 – PCPNDT Act) के तहत बनाए गए हैं।

इस कानून का मुख्य उद्देश्य लिंग आधारित गर्भपात को रोकना है और लड़कियों के लिंगानुपात को बेहतर करना है।कानून की प्रमुख बातें निम्नलिखित हैं:

1. लिंग परीक्षण पर पूर्ण प्रतिबंध: किसी भी गर्भवती महिला का लिंग परीक्षण करना अवैध है। गर्भावस्था के दौरान अल्ट्रासाउंड या किसी अन्य तकनीक का उपयोग बच्चे के लिंग का पता लगाने के लिए नहीं किया जा सकता।

2. कठोर सजा: लिंग परीक्षण करने वाले डॉक्टरों, लैब और गर्भवती महिलाओं को इस नियम के उल्लंघन पर सजा का प्रावधान है। दोषी पाए जाने पर भारी जुर्माना और जेल की सजा हो सकती है।

3. पंजीकरण आवश्यक: अल्ट्रासाउंड केंद्र और लैब्स को सरकार से पंजीकृत होना आवश्यक है। बिना पंजीकरण के कोई भी गर्भधारण और प्रसव पूर्व निदान संबंधी सेवा नहीं दी जा सकती।

4. रिपोर्टिंग: सभी मेडिकल संस्थानों को प्रसवपूर्व जाँच से संबंधित जानकारी और रिपोर्टिंग रखनी होती है ताकि कानून के पालन की निगरानी की जा सके।यह अधिनियम महिलाओं के अधिकारों और सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसका उद्देश्य भ्रूण हत्या की समस्या से निपटना है और लिंगानुपात में सुधार लाना है।

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