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Thu. Jan 23rd, 2025

औरंगजेबपुर गांव में गेहूं में रखी दवाई खाने से दो साल के बच्चे की मौत , परिजनों में शोक

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में स्थित चिलकाना क्षेत्र के औरंगजेबपुर गांव में रविवार को एक दर्दनाक घटना सामने आई है। यहां दो साल के मासूम ने अनजाने में गेहूं में रखी हुई कीटनाशक दवा का सेवन कर लिया, जिससे उसकी मौत हो गई। यह घटना न केवल दुखद है, बल्कि परिजनों और समाज को सतर्क रहने का भी संदेश देती है।

औरंगजेबपुर गांव में अपने घर पर एक महिला गेंहू की सफाई कर रही थी। इस बीच पास में खेल रहे दो साल के बच्चे ने गेहूं में रखा कीटनाशक उठाकर खा लिया। इससे बच्चे की तबीयत खराब हो गई और मुंह से झाग निकलने लगे। यह देख परिजनों में अफरा तफरी मच गई। वे बच्चे को तुरंत अस्पताल लेकर चले, लेकिन रास्ते में ही उसकी मौत हो गई। मासूम की मौत से परिजनों का रो-रोकर बुराहाल है।

औरंगजेबपुर गांव मे सुहैल पत्नी, दो बेटियों एक बेटे के साथ रहता है। रविवार देर शाम सुहैल की पत्नी घर में रखे गेहूं पिसवाने के लिए साफ कर रही थी। उसके पास ही दो साल का बेटा खेल रहा था। अचानक बच्चे ने गेहूं में रखी कीटनाशक उठाकर मुंह में डाल ली। महिला ने कीटनाशक निकालने की कोशिश की, लेकिन बात नहीं बनी। इस बीच बच्चे की तबीयत तेजी से खराब हो गई और मुंह से झाग निकलने लगे। परिजन तुरंत उसे जिला अस्पताल ले जाने लगे, लेकिन रास्ते में ही बच्चे की मौत हो गई। बच्चों की मौत से परिजनों को रो-रोकर बुराहाल है।

अगर परिजन कुछ जरूरी सावधानियां बरतते, तो शायद इस मासूम की जान बचाई जा सकती थी। गेहूं या अन्य अनाज में रखी दवाओं को बच्चों की पहुंच से दूर रखना चाहिए। दवाओं को ऐसे स्थान पर रखें जहां बच्चों का हाथ न पहुंचे। साथ ही, अनाज को सुरक्षित स्थानों पर ढककर और अच्छी तरह से पैक करके रखना चाहिए।इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए जागरूकता और सतर्कता बेहद जरूरी है। अगर समय रहते बच्चे को अस्पताल ले जाया जाता या जहरीले पदार्थों से दूर रखा जाता, तो उसकी जान बच सकती थी। हर माता-पिता और परिवार को अपने घर में ऐसी चीजों को संभालकर रखने की आदत डालनी चाहिए, ताकि किसी और मासूम को ऐसी दुर्घटना का शिकार न बनना पड़े।सावधानी ही सुरक्षा है – सतर्क रहकर मासूमों की जान बचाएं।

Note: Taazakhabar.live अपने सभी पाठकों को ज़हर खाने पर उपचार: जानें सही और विभिन्न तरीके जानकारी निम्नलिखित प्रकार से प्रदान करता है

अगर किसी ने ज़हर खा लिया है, तो उसे तुरंत और सही उपचार मिलना बेहद ज़रूरी है। इसमें समय की बहुत अहमियत होती है, क्योंकि सही कदम उठाने से जान बचाई जा सकती है। यहां हम ज़हर के प्रभाव को कम करने और प्राथमिक उपचार के बारे में जानकारी दे रहे हैं:

ज़हर खाने का क्या मतलब है?ज़हर खाने का अर्थ है जानबूझकर या अनजाने में किसी ज़हरीले पदार्थ को अपने शरीर के अंदर लेना, निगलना, छूना या इंजेक्ट करना। बच्चों में अनजाने में ज़हर खाने की सबसे अधिक संभावना होती है, इसलिए उन्हें दवाओं और केमिकल्स से दूर रखा जाना चाहिए।

अगर किसी ने ज़हर खा लिया है तो उसका उपचार कैसे करे? जाने विभिन्न तरीके

जो कुछ भी शरीर के लिए हानिकारक होता है उसे ज़हर कहा जाता है। भारत में ज़हर मौत के सबसे आम कारणों में से एक है। कई लोग इसका सेवन कर आत्महत्या कर लेते हैं। ज़हर विभिन्न प्रकार के होते हैं, जैसे कार्बन मोनोऑक्साइड, अल्कोहल, तरल पदार्थ आदि। जिस व्यक्ति ने ज़हर खा लिया है उसे तत्काल मदद की आवश्यकता होती है।

निगला हुआ ज़हर हल्की या घातक क्षति का कारण बन सकता है, जो निगली गई मात्रा और उसके प्रकार पर निर्भर करता है। कुछ निगले हुए ज़हर घाव, दाग-धब्बे या छोटी-मोटी असुविधाएँ पैदा करते हैं जबकि कुछ मस्तिष्क का रुक जाना, दिल की धड़कन रुकना, पैरालिसिस, दृष्टि की हानि, और यहां तक कि मृत्यु भी पैदा कर सकते हैं। बच्चे ज़हर या अन्य हानिकारक पदार्थों के सेवन के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील होते हैं। शोध से पता चला कि भारत में करीब 22 बच्चों की मौत रोज़ सिर्फ ज़हर खाने से होती ही। अत: ज़हरीले पदार्थों का सावधानी से उपचार करना आवश्यक है।

विषयसूची

1.पोइज़निंग का क्या तात्पर्य है? 2. पोइज़निंग के लक्षण 3. किसी ने ज़हर खा लिया है तो क्या करे ? 4. पोइज़निंग का इलाज 5. निष्कर्ष 6.सामान्य प्रश्न

पोइज़निंग का क्या तात्पर्य है? जब किसी ने कोई खतरनाक या ज़हरीला पदार्थ ले लिया है, तो हम उसे पोइज़निंग कहते हैं। बहुत अधिक शराब का सेवन करना, शक्तिशाली दवाओं का उपयोग करना, दवाओं या केमिकल्स का अत्यधिक उपयोग , साथ ही कुछ अन्य खाग्या पदार्थ इसका कारण हो सकते हैं। बहुत से लोग खुद को नुकसान पहुंचाने के लिए ज़हर का सेवन करते हैं। ज़हर मिलना तब हो सकता है जब आप ज़हर को अपने शरीर में इंजेक्ट करते हैं, उसे सांस लेते हैं, छूते हैं या खाते हैं। अधिकांश ज़हरीले पदार्थों को शरीर को नुकसान पहुंचाने के लिए कुछ समय की आवश्यकता होती है, जिसका अर्थ है ⁠ कि यदि आप सही ढंग से कार्य करते हैं, तो आप किसी के जीवन को बचा सकते हैं।

पोइज़निंग के लक्षण ज़हर के प्रकार के आधार पर, ज़हर के लक्षण भी अलग-अलग हो सकते हैं। यहां ज़हर खाने के कुछ सामान्य लक्षणों की सूची दी गई है:

• उल्टी करना• सांस लेने में कठिनाई• मुंह के आसपास सूजन या लालिमा• सुस्ती महसूस होना• संचार में कठिनाई• मानसिक रूप से अस्वस्थ महसूस कर रहे हैं• दौरे पड़ना

बिना ज़हर खाए भी इंसान में दिख सकते हैं ये लक्षण ⁠ लेकिन, यदि आपके आस-पास कोई व्यक्ति इनमें से  ⁠ 2 या 3 से अधिक लक्षणों का अनुभव कर रहा है, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श करना बुद्धिमानी होगी।

किसी ने ज़हर खा लिया है तो क्या करे ?

अगर आपको लगता है कि आपके आस-पास किसी ने ज़हर खा लिया है तो जल्दी से म ऐम्बुलेंस बुलाएं या उन्हें नजदीकी अस्पताल ले जाएं। डॉक्टर या एम्बुलेंस की प्रतीक्षा करते समय, उन्हें प्राथमिक उपचार दें। पोइज़िनिंग के लिए प्राथमिक उपचार देने के चरण हैं:

स्टेप 1 ज़हर खाए हुए व्यक्ति के मुँह की जाँच करें और जो भी ज़हर बचा हो उसे हटा दें। आप अपने हाथों का उपयोग बिना दस्ताने पहने न करे।

स्टेप 2 यदि व्यक्ति उल्टी करने की कोशिश करता है, तो उसे दम घुटने से रोकें और उसका सिर बगल में कर लें।

स्टेप 3 ज़हर खाए हुए व्यक्ति को ताज़ी हवा दिलाएँ और उनकी आँखों को धोएं ताकि किसी भी तरह का ज़हर निकल जाए क्यों की ज़हर आखों को भी प्रभावित करता है।

स्टेप 4 यदि व्यक्ति सांस लेने का कोई लक्षण नहीं दिखता है, तो CPR करे (हृत्फुफ्फुसीय पुनर्जीवन/ cardiopulmonary resuscitation)।

स्टेप 5 व्यक्ति को किसी भी प्रकार की दवा या सिरप देने की कोशिश न करें क्योंकि इससे ज़हर के साथ प्रतिकूल प्रतिक्रिया हो सकती है।

क्या होता है CPR (Cardiopulmonary Resuscitation?

CPR (हृत्फुफ्फुसीय पुनर्जीवन) एक आपातकालीन तकनीक है, जिसका उपयोग उस समय किया जाता है जब कोई व्यक्ति सांस लेना बंद कर देता है या उसकी दिल की धड़कन रुक जाती है। यह तकनीक रक्त और ऑक्सीजन के प्रवाह को बनाए रखने में मदद करती है, जब तक कि पेशेवर चिकित्सा सहायता न मिल जाए।


CPR कब किया जाता है?

CPR का उपयोग निम्नलिखित स्थितियों में किया जाता है:

  1. दिल की धड़कन रुक जाना (Cardiac Arrest)।
  2. सांस न आना या रुक जाना।
  3. डूबने, करंट लगने, या ज़हर के कारण बेहोशी।

CPR कैसे करें?

Step 1: स्थिति की जाँच करें

  1. सुनिश्चित करें कि व्यक्ति बेहोश है और सांस नहीं ले रहा है।
  2. किसी अन्य व्यक्ति को 108 (आपातकालीन नंबर) पर कॉल करने को कहें।

Step 2: व्यक्ति को सही स्थिति में लाएं

व्यक्ति को पीठ के बल एक सपाट सतह पर लिटा दें।

उसके सिर को हल्का पीछे की ओर झुकाएं ताकि वायुमार्ग (Airway) खुल जाए।

Step 3: छाती को दबाव (Chest Compressions)

  1. अपने हाथों को एक के ऊपर एक रखें और व्यक्ति की छाती के बीचों-बीच (सीने की हड्डी पर) रखें।
  2. अपने कंधों को सीधा रखते हुए अपनी हथेलियों से जोर से दबाव डालें।
  3. प्रति मिनट 100-120 बार दबाव डालें।

हर दबाव में छाती को लगभग 2 इंच नीचे दबाएं। दबाने के बाद छाती को सामान्य स्थिति में आने दें।

Step 4: मुंह से सांस देना (Rescue Breaths)

  1. 30 बार छाती दबाने के बाद व्यक्ति के सिर को पीछे झुकाएं और उसकी नाक बंद करें।
  2. अपना मुंह व्यक्ति के मुंह पर रखें और धीरे-धीरे 2 बार सांस दें।

हर सांस में व्यक्ति की छाती उठनी चाहिए।

  1. छाती उठती न दिखे तो वायुमार्ग फिर से खोलें और पुनः कोशिश करें।

Step 5: CPR जारी रखें

30 छाती दबाव और 2 सांस देने का चक्र तब तक जारी रखें, जब तक: व्यक्ति होश में न आ जाए। चिकित्सा सहायता न पहुंच जाए।


नोट: अगर आप सांस देने में असहज महसूस करते हैं, तो केवल छाती के दबाव (Chest Compressions) जारी रखें।

CPR करते समय धैर्य रखें और सावधानीपूर्वक कदम उठाएं।

यह तकनीक आपातकालीन स्थिति में जीवन बचाने में बहुत प्रभावी हो सकती है।

पोइज़निंग का इलाज एक बार जब डॉक्टर को बुलाया जाता है या मरीज़ को अस्पताल ले जाया जाता है, तो मरीज़ के इलाज की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। ज़हर से पीड़ित मरीज़ की जान बचाने के लिए डॉक्टर कई कदम उठाते हैं, जैसे:

1.रोगी को एक्टिवेटेड चारकोल देना ज़हर के प्रभाव को कम करने के लिए चारकोल को सबसे अच्छे एंटीडोट्स में से एक माना जाता है। इस प्रकार, इसका उपयोग आमतौर पर डॉक्टरों द्वारा उन रोगियों को ठीक करने के लिए किया जाता है जिन्होंने ज़हर खा लिया है।

2.एंटीडोट्स और सेडेटिव्स का उपयोग करना ज़हर या विषाक्त पदार्थों के प्रभाव को कम करने के लिए एंटीडोट्स दिए जाते हैं। कभी-कभी, रोगी को बहुत संघर्ष करना पड़ता है। तो उन्हें इलाज के दौरान सुलाने के लिए शामक दिया जाता है।

3. वेंटीलेटर मशीन पर शिफ्ट करना यदि रोगी ने सांस लेना बंद कर दिया है, तो उसके शरीर को एक वेंटीलेटर मशीन में उन्हें ऑक्सीजन की आपूर्ति करने के लिए ले जाया जाता है।

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