GLOBAL COOPERATIVE CONFERENCE 2024: नई दिल्ली में सहकारिता का भविष्य नई दिल्ली के प्रतिष्ठित भारत मंडपम में आईसीए-वैश्विक सहकारी सम्मेलन 2024 का भव्य आयोजन किया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर सहकारिता को भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा बताया और इसे एक जीवनशैली के रूप में परिभाषित किया। उन्होंने सहकारिता को चक्रीय अर्थव्यवस्था (Circular Economy) से जोड़ने की आवश्यकता पर बल देते हुए इसे 21वीं सदी के लिए एक प्रभावी मॉडल बताया।
भारत का सहकारी आंदोलन और उसका भविष्य प्रधानमंत्री मोदी ने सोमवार को इस सम्मेलन का शुभारंभ किया, जिसमें 2025 को अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष के रूप में मनाने का आह्वान भी किया गया। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन भारत की सहकारी यात्रा की दिशा तय करेगा और दुनिया के सामने सहकारिता के क्षेत्र में भारत के अनुभवों को प्रस्तुत करेगा।इस कार्यक्रम में दुनियाभर से सहकारी संस्थाओं के विशेषज्ञ और प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय सहकारी गठबंधन (International Cooperative Alliance) के 130 साल के इतिहास में यह पहली बार है कि भारत इस सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है।
भारत में सहकारिता की भूमिका प्रधानमंत्री मोदी ने भारत में सहकारी संगठनों की सफलता की बात करते हुए बताया कि देश में 8 लाख से अधिक सहकारी संस्थाएं हैं, जिनमें 98% ग्रामीण क्षेत्रों में काम कर रही हैं। ये संगठन लगभग 30 करोड़ लोगों को जोड़ते हैं। उन्होंने सहकारिता को ग्रामीण और ग्लोबल साउथ के विकास का एक मजबूत माध्यम बताया।
भूटान और फिजी के सहकारी अनुभव भूटान के प्रधानमंत्री दाशो शेरिंग तोबगे ने सहकारिता को सभी के लिए समृद्धि लाने वाला एक साधन बताया। उन्होंने भूटान में सहकारी समितियों और किसानों के समूहों का उदाहरण देते हुए भारत से प्रेरणा लेने की बात कही। वहीं, फिजी के उप प्रधानमंत्री मनोआ कामिकामिका ने कहा कि फिजी में सहकारी आंदोलन ने गरीबी उन्मूलन में अहम भूमिका निभाई है।
सहकारी तंत्र में सुधार और नई योजनाएं गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने सरकार द्वारा पिछले तीन वर्षों में सहकारिता क्षेत्र में किए गए सुधारों का जिक्र किया। उन्होंने सहकारिता विश्वविद्यालय स्थापित करने और नई सहकारी नीति लाने की योजना का ऐलान किया। साथ ही, सहकारी समितियों को बहुउद्देशीय बनाने के प्रयासों पर भी चर्चा की।
महिलाओं की अहम भूमिका और सहकारी क्षेत्र में निवेश प्रधानमंत्री ने सहकारी आंदोलन में महिलाओं की भागीदारी की सराहना करते हुए कहा कि लगभग 60% सदस्य महिलाएं हैं। उन्होंने सहकारी बैंकों में जमा 12 लाख करोड़ रुपये और 2 लाख नई बहुउद्देशीय समितियों की स्थापना का भी उल्लेख किया।
सहकारिता और सतत विकास के लक्ष्य इस सम्मेलन का मुख्य विषय ‘सहकारिता सभी के लिए समृद्धि का निर्माण करती है’ है। पांच दिवसीय इस कार्यक्रम में सतत विकास लक्ष्यों (SDG) जैसे गरीबी उन्मूलन, लैंगिक समानता और आर्थिक विकास पर गहन चर्चा होगी। इस दौरान विशेषज्ञ सहकारी संगठनों के सामने मौजूद चुनौतियों और अवसरों पर विचार करेंगे।
सम्मेलन का महत्व यह सम्मेलन इफको, अमूल, और कृभको जैसे प्रमुख भारतीय सहकारी संगठनों द्वारा आयोजित किया जा रहा है। इसका उद्देश्य न केवल भारतीय सहकारी आंदोलन को मजबूती देना है, बल्कि वैश्विक स्तर पर सहकारिता के महत्व को बढ़ावा देना भी है।
निष्कर्ष: सहकारिता भारत की जड़ों में समाई हुई है, और यह सम्मेलन न केवल भारत में बल्कि दुनियाभर में सहकारी आंदोलन के लिए नई ऊर्जा का संचार करेगा। भारत के अनुभव और नवाचार इस क्षेत्र में वैश्विक सहयोग को मजबूती प्रदान करेंगे।