उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले की विधानसभा बेहट के छोटे से गांव कोठड़ी बहलोलपुर की रहने वाली 19 वर्षीय शुभावरी चौहान ने अपनी मेहनत और लगन से खेती को एक नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। मात्र 9 साल की उम्र से अपने पिता संजय चौहान के साथ खेतों में काम शुरू करने वाली शुभावरी आज ऑर्गेनिक खेती के क्षेत्र में एक मिसाल बन गई हैं। शुभावरी का गांव कोठड़ी बहलोलपुर, विधानसभा बेहट में स्थित है, जहां उनका परिवार लंबे समय से खेती करता आ रहा है।
19 साल की शुभावरी चौहान: ऑर्गेनिक खेती में रच दिया इतिहास, करोड़ों की कमाई से बनीं प्रेरणा स्रोत
शुरुआत से अब तक का सफर
शुभावरी ने 2016 में पूरी तरह ऑर्गेनिक खेती शुरू की। इससे पहले वह खरपतवार के लिए हल्के पेस्टिसाइड का उपयोग करती थीं। लेकिन जैसे ही उन्हें यह एहसास हुआ कि पेस्टिसाइड स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं, उन्होंने इसे छोड़कर जैविक खेती की ओर रुख कर लिया। शुभावरी के खेतों में उगाई जाने वाली मुख्य फसल गन्ना है, जिसका प्रोसेसिंग कर वे उच्च गुणवत्ता का गुड़ और शक्कर बनाती हैं। उनकी यह प्रोडक्ट्स न केवल भारत में, बल्कि दुबई और पेरिस जैसे अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी पसंद की जाती हैं।
गाय आधारित प्राकृतिक खेती
शुभावरी के पास 20 से अधिक देसी गायें हैं, जिनके गोबर से खाद और गोमूत्र से जैविक अमृत बनाकर फसलों पर उपयोग किया जाता है। उनके खेतों में मिलेट्स और सब्जियों जैसी विभिन्न फसलें उगाई जाती हैं। शुभावरी सुबह 4 बजे उठकर गायों की देखभाल करती हैं, दूध निकालती हैं और घर के कामकाज में भी अपने माता-पिता का हाथ बंटाती हैं।
खेती और शिक्षा का संतुलन
शुभावरी न केवल एक बेहतरीन किसान हैं, बल्कि सहारनपुर के मुन्नालाल डिग्री कॉलेज से ग्रेजुएशन भी कर रही हैं। वे ट्रैक्टर और बुलेट चलाने में भी माहिर हैं और रोजाना 50 किलोमीटर का सफर तय करके पढ़ाई करती हैं।
लड़कियों के लिए प्रेरणा
250 बीघा जमीन पर खेती करने वाली शुभावरी ने 50 से अधिक लोगों को रोजगार दिया है। उनकी मेहनत और सफलता को देखकर न केवल आसपास की लड़कियां खेती में रुचि दिखा रही हैं, बल्कि लड़के भी उनकी कामयाबी को देख हैरान रह जाते हैं।
एक नई पहचान
शुभावरी खेती को एक व्यवसाय के रूप में आगे बढ़ा रही हैं। उनकी इनकम करोड़ों में पहुंच चुकी है और उनका नाम पूरे देश और विदेशों में प्रसिद्ध हो चुका है। शुभावरी का समर्पण और आत्मनिर्भरता हर महिला को सशक्त और प्रेरित करने का संदेश देती है।
Note: शुभावरी चौहान की यह कहानी बताती है कि अगर लक्ष्य बड़ा हो और मेहनत सच्ची, तो सफलता का आसमान भी छोटा पड़ सकता है।